
जहां प्याज के दाम फिलहाल 220 फीसदी बढ़ोतरी लिए हुए हैं, वहीं सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू की हालत उतनी ही खराब है। यूपी की आलू बेल्ट के नाम से मश्हूर आगरा, कानपुर मंडल में पुराने आलू फ्री में लेने को भी कोई तैयार नहीं है। वहीं नई फसल का आलू 5-6 रुपये प्रति किलो के रेट पर बिक रहा है।
इन जिलों में सबसे ज्यादा हालत खराब
यूपी के आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, एटा, औरेया, कानुपर देहात, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, कन्नौज आदि जिले आलू बेल्ट के नाम से मश्हूर हैं। इन जिलों में जो आलू होता है उसको सबसे बेस्ट क्वालिटी का माना जाता है। देश भर के कई राज्यों में यहीं से आलू की सप्लाई होती है। 
वहीं कोल्ड स्टोरेज मालिक भी 110 रुपये प्रति बोरी चार्ज करते हैं। लागत ज्यादा होने और लाभ नहीं मिलने के कारण किसान कोल्ड स्टोरेज से पुराने आलू के स्टॉक को नहीं निकाल रहे हैं। कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने भी खर्च कम करने के लिए अपने प्लांट को बंद कर दिया है, जिससे आलू सड़ने लगा है। इस सड़ रहे आलू को ही सड़क पर फेंका जा रहा है।
जुलाई में थी 400 रुपये की बोरी
जुलाई में आलू की प्रति बोरी 400 रुपये थी। इसके बाद से लगातार आलू की कीमत गिर रही है। अब सर्दियों में नई फसल की बंपर पैदावार होने के बाद आलू 5-6 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जिस पर भी किसान अपनी लागत को निकाल नहीं पा रहे हैं। 
सड़े आलू से लोग हो रहे हैं बीमार
सड़कों पर सड़ा हुआ आलू फेंकने से उसकी दुर्गंध से लोग बीमार भी हो रहे हैं। इस आलू को गरीब लोग अपने खाने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।  
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