राजस्थान के MP-MLA और अफसरों पर मुश्किल होगा FIR करवाना
October 22, 2017
बड़ीखबर, राष्ट्रीय
राजस्थान में सांसद-विधायक, जज और अफसर के खिलाफ मामला दर्ज करवाना अब आसान नहीं होगा। इनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने से पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी।
राज्य सरकार इस संबंध में सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में बिल ला सकती है। इस प्रस्तावित बिल के अनुसार, ड्यूटी के दौरान यदि नौकरशाहों के खिलाफ कोई शिकायत है और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी है, तो उसके लिए पहले राज्य सरकार से मंजूरी लेनी होगी। इस बिल में 180 दिन की समयावधि भी रखी गई है।
मीडिया में नहीं आ सकेगा नाम, दो साल की सजा भी
बिल के मसौदे के अनुसार यदि सरकार की स्वीकृति से पूर्व आरोपी कर्मचारी या अधिकारी का नाम मीडिया रिपोर्ट्स में आता है, तो ऐसे मामलों में दो वर्ष की सजा का प्रवाधान है।
मीडिया रिपोर्ट्स में आरोपी का नाम सरकार की अनुमति के बाद ही आ सकता है। इस बिल में 180 दिन की समयावधि भी रखी गई है। इसके अनुसार शिकायत होने के बाद सरकारी कर्मचारी या अन्य लोगों के खिलाफ सरकार 180 दिन में निर्णय लेगी। तय समयावधि के बाद अगर कोई निर्णय नहीं आता है, तो सबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोर्ट के जरिए ही रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है।
विवाद शुरू हो गया, मंत्री को देनी पड़ी सफाई
प्रस्तावित बिल को सोशल मीडिया पर भी जमकर ट्रोल किया जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्विटर पर इसे राजशाही का नमूना बताया है। आप के कुमार विश्वास ने भी इसका विरोध किया है। स्वयंसेवी संस्था पीयूसीएल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की घोषणा की है।
उधर, राजस्थान के पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने सफाई दी है कि नौकरशाहों के खिलाफ इस्तगासे के जरिए झूठी शिकायतों की बाढ़ आ गई है, जिससे नौकरशाह विकास के काम नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना है कि इस बिल का मुख्य मकसद नौकरशाहों को बदनाम करने से रोकना है न कि मीडिया पर सेंसरशिप लगाना।
इधर, गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि ईमानदार अधिकारी काम करने से डरते हैं कि कोई उन्हें केस में न फंसा दे। साफ छवि के अधिकारियों को बचाने के लिए ये बिल लाया जा रहा है।
राजस्थान में सांसद-विधायक राजस्थान के MP-MLA और अफसरों पर मुश्किल होगा FIR करवाना 2017-10-22