यूपी चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि वह किसानों का कर्ज माफ कर देंगे. यूपी में सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ सीएम बन गए. कर्ज माफी का ऐलान भी हो गया, लेकिन उससे भी किसानों को पूरी राहत नहीं मिली. जो थोड़ी राहत मिलती दिख रही थी उसमें भी एक मजाक सामने आ रहा है. दरअसल, किसानों को कर्ज माफी का प्रमाण पत्र दिया जा रहा है, जिसमें किसे में 19 पैसे तो किसी में 50 पैसे माफ हुए हैं. किसानों ने इस पर नाराजगी व्यक्त की है. किसानों का कहना है कि उन्हें 2 रुपये के लिए 200 से अधिक रुपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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बाराबंकी के किसान शंभू नाथ के भी सिर्फ 12 रुपये माफ हुए हैं. नुकसान 218 रुपये का हुआ. वह उत्तर प्रदेश की काफी गरीब परिवार से आते हैं, जिसमें 13 सदस्य हैं. सरकार के ऋण माफी कार्यक्रम में जाने के लिए बाराबंकी के इस किसान ने 15 किलोमीटर तक के लिए ऑटो रिक्शा ली और 30 रुपये खर्च किए. लेकिन शंभू नाथ का नुकसान 200 रुपये का हुआ, क्योंकि वह एक दिन की दिहाड़ी नहीं कर पाया.
56 साल के किसान ने गुस्से में कहा कि मैं बैंक मैनेजर के पास जाना चाहता हूं और चिल्ला कर पूछना चाहता हूं कि उसने ऋण माफी के लिए मेरा नाम क्यों दिया. करीब 12 लाख किसानों को ऋण माफी से जुड़े प्रमाण पत्र दिए गए हैं. यह योगी आदित्यनाथ सरकार की 36000 करोड़ की किसान ऋणमाफी योजना के तहत दिए गए. एक कार्यक्रम के दौरान किसानों को ऋण माफी से जुड़े प्रमाण पत्र दिए गए, लेकिन शंभू नाथ की तरह ही बहुत से किसानों के लिए ये प्रमाण किसी काम के नहीं थे. किसी-किसी के तो दो या तीन रुपये भी माफ हुए हैं. शाहजहां पुर जिले के किसान के 1.50 रुपये तो इटावा के बुजुर्ग किसान को 3 रुपये माफी का प्रमाण पत्र मिला है.
शंभूनाथ ने मार्च 2016 से पहले 28, 812 का लोन लिया था, उसमें से 28, 800 रुपये अपने बैल बेचकर चुका दिए थे. इसलिए वह सिर्फ 12 रुपये माफी का ही हकदार था. तकनीकी रूप से सरकार यहां सही है लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें बुलाकर योगी सरकार ने सिर्फ मजाक किया है.
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इन किसानों ने सवाल उठाया कि हम अगर ईमानदार है और हमने अपना ऋण चुका दिया है तो क्या हमारी गरीबी दूर करने के लिए सरकार हमारा पैसा वापस नहीं कर सकती. सरकार डिफॉल्टरों को पैसा बांट रही है, ईमानदारी का तो नुकसान कर रही है.
गौरतलब है कि योगी सरकार ने शपथ लेने के कुछ समय बाद ही कर्ज माफी का फैसला ले लिया था. ये सुविधा सिर्फ उन लघु और सीमांत किसानों को ही मिलेगी, जिनके पास पांच एकड़ खेती वाली जमीन है और जिन्होंने एक लाख रुपये तक का कर्ज ले रखा है.