हम बात कर रहे हैं वो है चेचक का टीका जो अंग्रेजों ने चुराया. यूरोप और कई बड़े देशों में चेचक की बीमारी एक महामारी थी. लाखों लोग चेचक के कारण अपने प्राण खो बैठे थे. लेकिन उस समय भारत के लिए यह एक आम बात थी क्योंकि हमारे पास इसका इलाज था, चेचक का टीका.
सन् 1710 में मशहूर डॉक्टर ऑलिवर भारत आए हुए थे और अपने बंगाल दौरे पर उन्होंने पाया कि कैसे यहां के लोग एक इंजेक्शन से चेचक का इलाज कर रहे हैंऔर उसके बाद उम्र भर यह बीमारी लौट कर नहीं आती है. डॉक्टर ऑलिवर ने लंदन लौटते ही डॉक्टरों की एक बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने चेचक के इलाज के बारे में बताया कि कैसे भारत के लोगों ने इसका इलाज ढूंढ निकाला है. उस समय यूरोप के डॉक्टरों के लिए इसका इलाज ढूंढना एक बहुत बडी बात थी. इसी कारण उन्होंने डॉक्टर ऑलिवर पर विश्वास नहीं किया.
इसके बाद ऑलिवर सभी डॉक्टरों को अपने खर्च पर भारत लाए और उन्हें यहा के वैद्यों से मिलवाया और उनसे इस इलाज के बारे में पुछा. तो उन्होंने बताया कि यह इलाज भारत में 1500 वर्षों से मौजूद है और अंग्रेजों को बिना किसी शुल्क के यह ज्ञान सिखा दिया.
इस तरह से चेचक का टीका जो अंग्रेजों ने चुराया
आज जिस डॉक्टर को दुनिया चेचक का टीका का जनक मानती है, वही डॉक्टर ऑलिवर भारत के वैद्यों को इस टीके का जनक मानते हैं.