नई दिल्ली. सीबीआई ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 1.18 मिलियन डॉलर (करीब 7.5 करोड़ रुपए) के कथित घूसकांड के मामले में एफआईआर दर्ज की है. जांच एजेंसी ने नेशनल हाईवेज अथॉरिटी (एनएचएआई) के अज्ञात अफसरों, सीडीएम स्मिथ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक, कई प्रोजेक्ट्स आवंटित करने के मामले में ये घूस की ये रकम दी गई थी. रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज मिनिस्टर नितिन गडकरी ने इस मामले के सामने आने पर गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे.
एक बोस्टन बेस्ड अमेरिकी कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग फर्म पर आरोप है कि उसने 2011 और 2015 के दौरान एनएचएआई के अफसरों को 1.18 मिलियन डॉलर की राशि रिश्वत के तौर पर प्रोजेक्ट्स पाने के लिए दी. यूएस के जस्टिस डिपार्टमेंट ने कंपनी पर घूस देने के लगे आरोपों की जांच के लिए भारत सरकार से कहा था.
ये है मामला
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने भेजे एक पत्र में कहा, सीडीएम स्मिथ ने अपने कर्मचारियों और एजेंट्स के जरिए और भारत में सीएमडी इंडिया की सहायक कंपनी ने करीब 1.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत भारत सरकार के अधिकारियों को हाईवे कंस्ट्रक्शन के सुपरविजन, डिजाइन और एक वाटर प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल किए. इन कांन्ट्रैक्ट्स से कंपनी को लगभग 4 मिलियन डॉलर का फायदा हुआ.
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
रिश्वत की राशि ठेके की कीमत का 2 से 4 फीसदी थी. इसे फर्जी सब-कॉन्ट्रैक्टर्स के जरिए दी गई. दरअसल, इन सब-कॉन्ट्रैक्टर्स ने कोई सर्विस नहीं दी. ऐसे में सवाल उठा कि क्या इससे नेशनल हाईवेज अथॉरिटी के अफसरों को फायदा पहुंचाया गया.
यूएस में मामला बंद
यूएस के जस्टिस डिपार्टमेंट की क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी मामले की जांच बंद कर दी थी, क्योंकि सीडीएम स्मिथ 4 मिलियन डॉलर का फायदा छोड़ने के लिए तैयार हो गया था, जिसे बोस्टन कंपनी ने ठेकों से कमाया था. इसमें यह भी शर्त थी कि सीडीएम स्मिथ इस राशि पर टैक्स छूट की कोई मांग नहीं करेगा.
कंपनी ने दी थी सफाई
यूएस में कथित रिश्वतकांड के सामने आने के बाद सीडीएम स्मिथ के सीईओ ने स्टीफन जे हिकॉक्स ने जारी बयान में कहा था, सीडीएम स्मिथ की एक स्पष्ट अचार संहिता और मूल्य हैं, जिससे कंपनी का हरदिन का व्यवहार संचालित होता है.