मुंबई क्राइम ब्रांच ने दस पिस्टल के साथ एक शख्स को किया अरेस्ट, आरोपी के खिलाफ कई मामले दर्ज

मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 7 ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो कि मुंबई में हथियार का जाखीरा किसी को डिलीवर करने आया था. मायानगरी मुंबई में इतने बड़े पैमाने में हथियार का आना जांच एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अकबर पठान ने बताया कि हमे जानकारी मिली थी कि मुलुंड इलाके में एक शख्स इतने बड़े पैमाने में हथियार लेकर आने वाला है जिसके बाद क्राइम ब्रांच की यूनिट 7 के इंचार्ज मनीष श्रीधनकर की एक टीम ने ट्रैप लगाया और उसे पकड़ लिया.

गिरफ्तार युवक का नाम लखन सिंह चौहान है जिसकी उम्र महज 21 साल है और इस आरोपी के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं. पिछले साल भी क्राइम ब्रांच ने एक शख्स को बंदूक के साथ गिरफ्तार किया था, उस मामले में भी इसका नाम सामने आया था.

पठान ने बताया कि जांच के दौरान उन्हें पता चला कि चौहान मध्यप्रदेश के बरूवानी जिले का रहने वाला है और उस जिले में एक ऐसा गांव है जहां पर गांव के ज्यादातर लोग हथियार बनाने का काम करते हैं और चौहान का तो फैमिली बिजनेज ही हथियार बनाना और अलग अलग राज्यों में बेचना है.

पुलिस को 10 पिस्टल के साथ साथ 12 मैगजीन और 6 लाइव राउंड्स मिले हैं जो कि केएफ मेड हैं. चौहान के पास से पुलिस को ग्राहकों की लंबी लिस्ट भी मिली है जिसे वो पिस्टल बेचा करता था. उसने पूछताछ के दौरान बताया कि वो एक पिस्टल 30 हजार में बेचता था जो कि बाकी दूसरे पिस्टल बनाने वालों से सस्ती और अच्छी क्वालिटी की है. इसी वजह से उसके पास ग्राहकों की लाइन लगती थी.

क्राइम ब्रांच के सूत्रों ने बताया कि वो हर महीने 100 से ज्यादा बंदूक बनाता था और उसे मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के इलाकों में बेचा करता था. क्राइम ब्रांच इस बात की जांच कर रही है कि वो मुम्बई में किसे इतने सारे हथियार बेचने के लिए आया था?

पठान ने बताया कि इस मामले में अब क्राइम ब्रांच को उसके मामा का नाम भी पता चला है जो इसके साथ बंदूक बनाने का काम करता था. चौहान एक जगह से दूसरी जगह बंदूक की डिलीवरी के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेता था खास तौर से बस क्योंकि सड़क पर इतनी ज्यादा लगेज की जांच नही होती और डिलीवरी देना आसान होता है.

कैसे बनाते थे पिस्टल ?

क्राइम ब्रांच के सूत्रों ने बताया कि ये लोग ट्रक से लोहा चुराते थे. इसके अलावा स्क्रैप डीलर से लोहा किलो के भाव मे खरीदते थे. इसके बाद उसे पिघलाकर सांचे में डालकर हर हिस्से को बड़ी ही बारीकी से बनाया जाता है और फिर उसे असेंबल किया जाता है. इतना ही नहीं पिस्टल बेचने से पहले उसका ट्रायल भी किया जाता था ताकि अगर उस पिस्टल की क्वालिटी सही ना हो तो उसमे सुधार किया जा सके. क्योंकि अगर इनके ग्राहक को उसमें कुछ कमी मिली तो ग्राहक टूटने का खतरा होता है.

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