हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में सभी मंदिरों में माथा टेकना चाहता है, लेकिन अधिकतर लोगों की ये हसरत पूरी नहीं हो पाती। वहीं एक ऐसा भी मंदिर है, जहां कोई जाना तो नहीं चाहता, लेकिन उसे वहां जाना पड़ता है। ये मंदिर है हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले में स्थित भरमौर नामक स्थान पर , जहां लोग बाहर से ही प्रणाम करके लौट आते हैं।
माना जाता है कि मरने के बाद सबसे पहले आत्मा यहीं पर आती है। फिर चाहे मरने वाला व्यक्ति आस्तिम हो या नास्तिक, उसे इस मंदिर में आना ही पड़ता है और ये मंदिर हैं धर्मेश्वर महादेव जी का। दुनिया में धर्मराज यानी यमराज का ये इकलौता मंदिर है।
देखने में ये मंदिर आम घरों की तरह है। इस मंदिर में एक खाली कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं जो जीवात्मा के कर्मो का लेखा-जोखा रखते हैं। मान्यता है कि जब किसी प्राणी की मृत्यु होती है तब यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को पकड़कर सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं।
चित्रगुप्त जीवात्मा को उनके कर्मो का पूरा ब्योरा देते हैं इसके बाद चित्रगुप्त के सामने के कक्ष में आत्मा को ले जाया जाता है। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है।
कहा जाता है कि यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। यह भी मान्यता है इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरूड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख किया गया है।