मकर संक्रांति: खिचड़ी खाने और तिल दान करने के पीछे ये है कारण….

images (48)मलमास के बाद आने वाले 14 जनवरी पर पहले त्योहार मकर संक्रांति के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। मकर संक्रांत‌ि के अवसर पर त‌िल के दान और त‌िल से बनी चीजों को खाने की परंपरा है।

इस परंपरा को लोग बखूबी निभाते भी हैं, लेकिन शायद ही कोई जानता हो कि इस दिन तिल चढ़ाने और खिचड़ी खाने के पीछे का कारण क्या है। तो चलिए आज आपको इसके पीछे की परंपरा और कारण के बारे में बताते हैं –
तिल चढ़ाने की परंपरा
तिल का उल्लेख श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण में म‌िलता है। शन‌ि महाराज का अपने प‌िता से बैर भाव था क्योंक‌ि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख ल‌िया था इससे नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शन‌ि को अपने से अलग कर द‌िया था। इससे शन‌ि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे द‌िया।
 
पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़‌ित देखकर यमराज ने तपस्या क‌र सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवा ‌द‌िया। लेक‌िन सूर्य ने क्रोध‌ित होकर शन‌ि महाराज के घर कुंभ ज‌िसे शन‌ि की राश‌ि कहा जाता है उसे जला द‌िया। इससे शन‌ि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे। कुंभ राश‌ि में सब कुछ जला हुआ था। उस समय शनि देव के पास तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से सूर्य देव की पूजा की।
 
शन‌ि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शन‌ि को आशीर्वाद दिया कि शनि का दूसरा घर मकर राशि मेरे आने पर धन धान्य से भर जाएगा। तिल के कारण ही शनि को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था इसलिए शनि देव को तिल प्रिय है। इसी समय से मकर संक्रांति पर तिल से सूर्य एवं शनि की पूजा का नियम शुरू हुआ।

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