आज मंगलवार दि॰ 28.11.17 को मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी को भगवान विष्णु के दशावतार का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। वैसे तो हर माह की दशमी भगवान विष्णु को दशहरे के रूप में समर्पित है
परंतु मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी के बारे में कहा गया है शुद्धा, विद्या व नियम आदि का निर्णय यथापूर्व करने के अनन्तर मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी को मध्याह्न में जौ की रोटी व मूंग दाल का भगवान को भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप एक बार ग्रहण करके एकादशी का व्रत किया जाता है तथा द्वादशी को प्रातः स्नानादि करके श्रीहरि का पूजन कर द्वादशी को एक बार भोजन करके पारण किया जाता है।
दशावतार में से पहले तीन अवतार; मत्स्य, कूर्म व वराह प्रथम महायुग सत्युग में हुए। नरसिंह, वामन, परशुराम व राम दूसरे युग अर्थात त्रेता में अवतरित हुए। कृष्ण द्वापर में अवतरित हुए। तथा बौद्ध कलियुग में अवतरित हुए। भागवत पुराण की भविष्यवाणी के आधार पर कलयुग के अंत में कल्कि अवतार होंगे जो अनाचार का अंत करेंगे व न्याय का शासन स्थापित करेंगे।
दशावतार के विशेष व्रत, पूजन व उपाय से आकस्मिक बाधाएं समाप्त होती हैं। दुर्भाग्य दूर होता है तथा आर्थिक समस्याओं का अंत होता है।
पूजन विधि: दशावतार या विष्णु के चित्र का विधिवत दशोपचार पूजन करें। चमेली के तेल का दीपक करें, गुग्गुल से धूप करें, लाल फूल चढ़ाएं, रोली चढ़ाएं, गुड़ का भोग लगाएं तथा लाल चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
पूजन मुहूर्त: दिन 11:48 से दिन 12:29 तक (अभिजीत)
पूजन मंत्र: ॐ परब्रह्मणे महाविष्णवे नमः॥
उपाय :
दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु श्रीहरि पर चढ़े सौंफ के 10 दाने कर्पूर से जला दें।
आकस्मिक बाधाओं से मुक्ति हेतु भगवान विष्णु पर केसर मिला जल चढ़ाएं।
कल करें ये महा टोटका: आर्थिक समस्याओं के अंत हेतु श्रीनारायण पर चढ़ी लाल चिरमी तिजोरी में रखें, बढऩे लगेगी धन-संपत्ति।