एजेंसी/ नई दिल्ली। भारतीय गणतंत्र करीब 70 साल का प्रौढ़ हो चुका है। एक तरफ चमचमाती सड़कें तो दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं की कमी। एक तरफ बड़ी-बड़ी इमारतें तो दूसरी तरफ गरीबी की कहानी बयां करती गरीबों की झोपड़ियां हैं। एक ही देश में कहीं इंडिया है तो कहीं भारत। गरीबों और गरीबी के नाम पर सरकारें आती भी हैं और चली भी जाती हैं। लेकिन भारत में गरीबी हटाने के फॉर्मूले रोजाना गढ़े जाते हैं।
आरबीआई गवर्नर का कहना है कि भारत से गरीबी का खात्मा किया जा सकता है, बशर्ते यहां प्रति व्यक्ति की आय 6 हजार डॉलर होनी चाहिए। भारत में मौजूदा समय में ज्यादातर लोगों की आय 1500 डॉलर के पास है। हालांकि ये आंकड़ा 50 हजार डॉलर तक जाता है लेकिन इस श्रेणी में आने वालों की संख्या सीमित है। रघुराम राजन ने कहा कि सरकारों की तरफ से योजनाएं चलायी जा रही हैं। लेकिन उसका फायदे से ज्यादातर लोग वंचित हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक जगत में अस्थिरता के माहौल से निवेश पर असर पड़ा है। हालांकि ये क्षणिक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थायित्व का असर भारत पर बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि भारत से गरीबी हटाने के लिए वित्तीय समावेशन पर जोर देने की जरूरत है। मौजूदा सरकार इस दिशा में बेहतर काम कर रही है। भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा है जिस पर कड़ाई से काम करने की जरूरत है। मनरेगा के अलावा बहुत सी ऐसी योजनाओं में खामियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।