कोरोना महामारी के चलते फलपट्टी क्षेत्र में सब्जी और फूल की फसल बर्बाद होने के बाद अब यहां के व्यवसाय की जान यानी आम की फसल पर भी संकट मंडरा रहा है। बागबानों का मानना है कि कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। जून में संक्रमण चरम पर होने की आशंका है।

अगर लॉकडाउन और बढ़ा तो आम का कारोबार तबाह हो जाएगा और करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इस आर्थिक संकट से उबरना बागबानों के लिए बड़ी चुनौती होगी। अगर लॉकडाउन खुल जाता है और सही बाजार मिल भी जाए तो नुकसान की थोड़ी बहुत ही भरपाई हो पाएगी।
मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंशराम अली बताते हैं कि मलिहाबाद फलपट्टी में 30 हजार हेक्टेयर में आम की फसल होती है। इसमें प्रति वर्ष औसतन 6 लाख मैट्रिक टन आम का उत्पादन होता है।
लेकिन इस साल मौसम की बेरुखी से फसल औसत से भी कमजोर है। इसके बावजूद आम की पैदावार इतनी है कि सही बाजार मिल जाए तो क्षेत्र को 1000 से 1200 करोड़ की आय होगी। कारोबार चौपट हुआ तो बागबानों के सामने भुखमरी की स्थिति आ जाएगी।
देश की जिन मंडियों में कारोबार वे हैं रेड जोन में
दुनियाभर में अलग मिठास के लिए मशहूर मलिहाबादी दशहरी का देश की जिन प्रमुख मंडियों से सबसे ज्यादा कारोबार होता है वह सब रेड जोन में हैं। क्षेत्र के बड़े बागबान व दिल्ली मंडी से जुड़े मीनू वर्मा बताते हैं कि 200 करोड़ से भी अधिक का कारोबार दिल्ली मंडी से होता है।
आढ़ती हाफिज हलीम के मुताबिक दिल्ली के बाद महाराष्ट्र की मंडी में भी 100 करोड़ से भी अधिक का कारोबार होता है। दोनों रेड जोन में हैं। ऐसी स्थिति में आम पहुंचेगा, पहुंचेगा तो बिकेगा या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। वहां के आढ़ती भी कारोबार को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।
मौसम की मार के कारण इस बार 30 या 40 फीसदी ही आम की फसल है। ओले गिरने से बहुत आम की फसल बर्बाद हुई है। तैयार बाग भी नहीं बिक रही। इस बार निर्यात की उम्मीद नजर नहीं आ रही। दूसरे राज्य तो छोड़िए पास की कानपुर मंडी में भी कोरोना संक्रमण का असर है।
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