ऐसे में विधानसभा के नतीजे तय करेंगे कि साढ़े तीन साल में मोदी का जनाधार बढ़ा या घटा है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के प्रदेश में दो सांसद थे, लेकिन उस समय की मोदी लहर में चारों सीटें पार्टी के खाते में आ गईं। पार्टी का वोट शेयर 54 प्रतिशत तक पहुंचा।
हालांकि, पार्टी की तीन अहम सीटों फतेहपुर, पालमपुर और चंबा पर बागी बड़ी चुनौती हैं। शेष तीन संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस ने उपस्थिति दर्ज करवाई। मंडी में पांच विधानसभाओं में कांग्रेस आगे रहे, हमीरपुर में एक और शिमला में तीन सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी।
लोकसभा के तुरंत बाद सुजानपुर विधानसभा के उपचुनाव और फिर भोरंज उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली। हालांकि, इस बार दोनों ही सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी बदल दिए हैं। पूर्व सीएम धूमल को सुजानपुर तो कमलेश को भोरंज में उतारा है। एक बार फिर पार्टी के रणनीतिकारों ने मोदी चेहरे पर दांव खेला है।
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र – 17 में से 16 पर भाजपा को बढ़त मिली, केवल हरोली में कांग्रेस की बढ़त रही
शिमला संसदीय क्षेत्र – 14 सीटों पर भाजपा आगे, तीन सीटों शिलाई, श्री रेणुका जी और रोहड़ू में कांग्रेस आगे
मंडी संसदीय क्षेत्र – 12 सीटों पर भाजपा आगे रही, भरमौर, लाहौल, सिराज, किन्नौर और रामपुर में पिछड़ी
अब तक मत प्रतिशत
वर्ष 2012 – भाजपा 38.83, कांग्रेस 43.21
वर्ष 2007- भाजपा 43.78, कांग्रेस 38.9
वर्ष 2003 – भाजपा 35.38, कांग्रेस 41
वर्ष 1998 – भाजपा 39.02, काग्रेंस 43.51