भगवा टोली की गहमागहमी इस साल सियासी गर्मी बढ़ाएगी। खासतौर से मंदिर मुद्दे पर कुछ ज्यादा ही हलचल दिखेगी। विहिप ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। लखनऊ में 6 जनवरी को होने वाली बैठक में इसका खाका खींचा जाएगा। इसके बाद इसी महीने प्रयाग समेत विभिन्न जगहों पर बैठकों का सिलसिला जारी रहेगा।
गहमागहमी के चलते सियासी दलों की सक्रियता भी दिखनी स्वाभाविक है। गुजरात चुनाव में हिंदुत्व पर जिस तरह राहुल गांधी और कांग्रेस का बदला हुआ रुख दिखा है, उसके चलते संभव है कि भगवा टोली की गहमागहमी से पैदा सियासी गर्मी उत्तर प्रदेश में भी राहुल और उनकी पार्टी का नया अवतार दिखाए।
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने 8 फरवरी से श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में प्रतिदिन सुनवाई का फैसला किया है। पहले यह सुनवाई 5 दिसंबर से होनी थी लेकिन कुछ पक्षकारों की अपील पर कोर्ट ने फरवरी में सुनवाई का निर्णय किया है। साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि अब सुनवाई टलेगी नहीं। अगर फरवरी से रोज सुनवाई शुरू होती है तो समझा जा सकता है कि मंदिर मुद्दे पर प्रदेश में किस कदर गहमागहमी रहेगी।
जिस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा के कुछ नेताओं की तरफ से बार-बार यह संकेत दिए जा रहे हैं कि अयोध्या में मंदिर निर्माण 2018 के अंत से प्रारंभ हो जाएगा, उससे भी पता चलता है कि यह साल मंदिर मुद्दे पर हलचलों और नए राजनीतिक समीकरण बनाने-बिगाड़ने वाला होगा।
कांग्रेस नहीं दिखना चाहती है हिंदू विरोधी
इसके कारण साफ दिख रहे हैं। गुजरात चुनाव से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने चेहरे को हिंदुत्व हितैषी बनाने की कोशिश शुरू की है। साथ ही पिछले दिनों अयोध्या मामले पर सुनवाई के दौरान कांग्रेस ने मुस्लिम पक्षकारों के वकील व अपने नेता कपिल सिब्बल के तर्कों से यह कहते हुए खुद को अलग किया कि सिब्बल ने जो बातें कही हैं वे वकील की हैसियत से कही हैं। कांग्रेस को उनसे नहीं जोड़ना चाहिेए। बाद में खुद सिब्बल ने भी यही सफाई दी।
इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस ने अपनी नीति बदली है। वह मुस्लिम वोटों के लिए अब हिंदुत्व के विरोध की सीमा तक जाने से बचना चाहती है। शायद उसे लगने लगा है कि बहुत ज्यादा मुस्लिम हितैषी छवि बनाने से उसे लाभ के बजाय नुकसान होगा और भाजपा तथा मोदी बाजी मार लेंगे। ऐेसे में मंदिर मुद्दे पर अगर कांग्रेस नए तेवरों और तर्कों के साथ दिखे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
ये बैठकें बढ़ाएंगी हलचल
पूरी कार्ययोजना को अंतिम रूप तो 6 जनवरी को लखनऊ में आयोजित बैठक में दिया जाएगा। पर, विहिप के प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार प्रयाग में 11-12 जनवरी को पूर्वी क्षेत्र के चिंतन वर्ग की बैठक बुलाई गई है। इसमें श्रीराम जन्मभूमि मामले के साथ हिंदुत्व से जुड़े अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा।
इसके अलावा 19-20 जनवरी को वहां माघ मेले में संतों की महत्वपूर्ण बैठकें हो रही हैं। जिसमें अयोध्या सहित अविरल व निर्मल गंगा, मठ-मंदिरों की रक्षा और व्यवस्था तथा गोसंरक्षण जैसे मुद्दों पर आगे के अभियान की कार्ययोजना तय होगी। माना जा रहा है कि संतों की तरफ से मंदिर मुद्दे पर कुछ न कुछ ऐसा आग्रह मोदी सरकार से जरूर किया जाएगा जो सियासी गर्मी बढ़ाने वाला होगा।
विभिन्न प्रांतों की बैठकें भी जनवरी में
अलग-अलग प्रांतों की बैठकें भी होंगी। इनमें प्रांतवार आगे की कार्ययोजनाएं बनाई जाएंगी। इस सिलसिले में 6 व 7 जनवरी को काशी की बैठक वाराणसी में है। इसके बाद 20 व 21 को कानपुर प्रांत और 27-28 को अवध प्रांत की बैठक अयोध्या में होगी। 8 व 9 जनवरी को माघ मेले में ही गोरक्षकों का सम्मेलन आयोजित किया गया है।
इसमें गोरक्षा, गोसंवर्धन तथा गोशालाओं की दशा पर चर्चा होगी। साथ ही इस मुद्दे पर सरकार की नीति, निर्णयों और योजनाओं के साथ आगे की अपेक्षाओं पर भी बातचीत होगी।
प्रयाग में ही 9 व 10 जनवरी को सेवा विभाग की बैठक बुलाई गई है जिसमें विहिप के सेवा प्रकल्पों से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके बाद 24 जनवरी को काशी प्रांत का बजरंग दल का सम्मेलन प्रयाग में ही है। इसका एजेंडा भी हिंदुत्व और अयोध्या होगा।
मार्च में देश भर में राम महोत्सव
विहिप ने 18 मार्च से 31 मार्च तक देश भर में राम महोत्सव कार्यक्रम करने का फैसला किया है। इसके तहत विहिप के कार्यकर्ताओं और संत-महात्माओं की टोलियां गांव-गांव जाकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का माहौल बनाएंगी।
सूत्र बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में फरवरी से इस मामले की सुनवाई शुरू होगी। इस नाते नई परिस्थितियों के मद्देनजर सामने आने वाली बातों को भी इस अभियान में शामिल करके लोगों से संपर्क किया जाएगा।
विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री अंबरीष कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण करोड़ों हिंदुओं की आस्था का विषय है। इसलिए विहिप के जो भी कार्यक्रम या बैठकें होंगी उनके एजेंडे का यह महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।