बड़ी खबर : पीएम मोदी की चाल में फंस गए अलगाववादी….

नई दिल्ली। अलगाववादियों का जम्मू-कश्मीर पहुंचे प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार करना मोदी सरकार के लिए फायदेमंद साबित होते दिख रहा है।

 
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घाटी में हालात सामान्य करने की कोशिश में लगा केंद्र अलगाववादी नेताओं की इस ‘बदसलूकी’ को रणनीतिक बढ़त मान रहा है।सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल को अलगाववादियों से जानबूझकर मिलने से रोका नहीं गया। बता दें कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि मुलाकात के लिए सरकार की तरफ से न तो हां थी और न ही रोका गया था।
सरकारी सूत्रों का मानना है कि इस घटना ने केवल अलगाववादियों को ‘एक्सपोज’ किया है और इससे उन पर काबू पाने में मदद भी मिलेगी। पूरे मामले से घाटी की जनता को यही मेसेज जाएगा कि अलगाववादी इस समस्या का हल होते नहीं देखना चाहते। घाटी के दौरे से लौटे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई कर रहे गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी है। वहीं, आज यानी बुधवार को राजधानी में सर्वदलीय बैठक होगी।
विपक्षी पार्टियां यह आरोप लगाती रही हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार कश्मीर मुद्दे पर अड़यिल रुख अपनाते हुए अलगाववादी संगठनों को नजरअंदाज कर रही है। सरकारी सूत्रों ने बताया, ‘हमारा रुख साफ रहा है। घाटी में हालात नॉर्मल करने के मामले में अलगावादियों को एक पक्ष नहीं माना जा सकता क्योंकि हमें उनकी नीयत पर शक है।’ सूत्र के मुताबिक, सब की नजरें इस बात पर थीं कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों की अलगाववादियों से मुलाकात का क्या नतीजा निकलता है?
बता दें कि जुलाई से ही घर में नजरबंद किए गए हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सीताराम येचुरी, डी राजा, शरद यादव जैसे नेताओं से मिलने से इनकार कर दिया था। ये सांसद टीम से अलग होकर गिलानी से मिलने उनके घर पहुंचे थे। मुलाकात तो नहीं हुई, उल्टे नेताओं को गिलानी समर्थकों की नारेबाजी का भी सामना करना पड़ा। पूरे मामले से जुड़े सूत्र ने बताया, ‘हम चाहते थे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।’
यहां तक कि सर्वदलीय बैठक में भी सरकार के प्रतिनिधियों ने विपक्षी नेताओं के अलगाववादियों से मुलाकात की योजना का विरोध नहीं किया। सरकार चाहती थी कि इस मामले में अलगाववादी नेता ‘एक्सपोज’ हो जाएं। सरकारी सूत्र के मुताबिक, ‘अलगाववादी अपनी प्रासंगिकता कायम रखने के लिए कश्मीर की जनता को गुमराह कर रहे हैं।’
एक सीनियर नेता ने बताया, ‘सर्वदलीय बैठक के दौरान अलगाववादियों को न्योता देने की बात उठी थी क्योंकि कुछ पार्टियां उन्हें बुलाना चाहती थीं। हमने साफ कर दिया था कि कोई शख्स या पार्टी अलग से पहल कर सकता है लेकिन सरकार को इस हालात में अलगाववादियों से बात करना सही नहीं लगता।’
सरकारी सूत्रों ने संकेत दिए कि फेस्टिवल सीजन के बाद घाटी में हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे क्योंकि ‘अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी’। इस मामले पर महबूबा सरकार और केंद्र दोनों एकराय हैं और हिंसा में शामिल लोगों को लेकर नरमी नहीं बरती जाएगी।
liveindia.live से साभार….

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