कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों में बीमारी के हल्के लक्षण दिखते हैं. लेकिन बुजुर्गों और डायबिटीज, कैंसर व किडनी से जुड़ी बीमारियों का शिकार लोगों में इसके गंभीर लक्षण देखे जाते हैं. कोविड-19 से मरने वाले 80 फीसद लोगों के 65 साल से ज्यादा उम्र के होने का अनुमान है.
दरअसल कोरोना वायरस इंसान के फेफड़ों पर अटैक करता है, जिससे उसकी छाती में दर्द और जलन महसूस होने लगती है. सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, इससे छाती में लगातार दर्द और दबाव सा महसूस होता है और ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत पड़ सकती है.
क्या छाती में दर्द है कोविड-19 का संकेत– डॉक्टर्स कहते हैं कि छाती में दर्द या जलन कोविड-19 का एक संकेत हो सकता है. सीने में दिक्कत के साथ यदि किसी को सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो ऐसा कोरोना की वजह से हो सकता है. एक स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 में 17.7 प्रतिशत मरीजों ने छाती में दर्द की शिकायत के बारे में बताया है. कोविड-19 के मरीजों को हल्के लक्षणों के साथ सांस में तकलीफ या छाती में दर्द की शिकायत हो सकती है. एक स्टडी के मुताबिक, इससे सर्वाइव करने वालों की तुलना में कोविड-19 से मरने वालों के सीने में लगभग तीन गुना ज्यादा दर्द रहता है.
छाती में दर्द का कारण– ऐसा माना जाता है कि फेफड़ों के आस-पास मौजूद टिशू में इन्फ्लेमेशन या हार्ट इंजरी की वजह से सीने में दर्द हो सकता है. कोरोना वायरस एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम 2 (ACE2) नामक रिसेप्टर के माध्यम से आपकी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है. ACE2 आपके शरीर के कई हिस्सों में पाया जाता है, जिसमें आपके फेफड़े, हृदय और गैस्ट्रोइंटसटाइनल ट्रैक्ट शामिल हैं. एक बार जब वायरस ACE2 के माध्यम से आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो ये सेलुलर डैमेज और इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है.
हार्ट डैमेज– इम्यून सिस्टम से रिलीज होने वाले अणु जिन्हें इन्फ्लेमेटरी साइटोकाइन्स कहते हैं, हमारे हार्ट सेल्स को डैमेज करते हैं. इसी को साइटोकाइन स्टॉर्म सिंड्रोम कहा जाता है. कई बार इसमें हृदय की मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं. इसके अलावा फेफड़ों के सही तरीके से काम ना कर पाने और ऑक्सीजन लेवल के गिरने से हार्ट डैमेज हो सकता है.
कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज झेल रहे लोगों में भी हार्ट डैमेज होने की संभावना बनी रहती है. जुलाई 2020 में हुई एक स्टडी के मुताबाकि, हार्ट इंजरी वाले लगभग 30 से 60 प्रतिशत लोगों में कोरोनरी हार्ट डिसीज या हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी दिक्कतें देखी गईं है.