देश की सीमाओं की सुरक्षा में जुटे जवान किसी भी देश की आन-बान और शान होते है. वही अगर बात भारत जैसे देश की जाये तो इस देश में, जहा लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओ ने जय जवान जय किसान का नारा दिया हो, जवानो के प्रति सन्मान और इज़्ज़त और बढ़ जाती है. इसके उलट देश के तक़रीबन 16000 हज़ार जवान हर साल बिना युद्ध किये ही अपनी जान गवा रहे है.

आकड़े चौकाने वाले है, मगर इस से भी ज्यादा चौकाने वाले जवानो की मौत के कारण है. जल, थल, और वायु सेना के कुल मिला कर 16000 जवान बीमारी, भोजन में मिलावट, मानसिक तनाव, सड़क दुर्घटना, और आत्महत्या जैसे कारणों से अपनी जान से हाथ धो रहे है. एक ओर जहा सरकार आर्मी को और शक्तिशाली बनाने के लिए नित नए हथियारों और युद्ध सामग्री को लेकर विदेशो से बड़े-बड़े सौदे और करार कर रही है. वही दूसरी ओर उन्ही हथियारों के असली मालिकों को मुलभुत सुविधाएं भी मुहैया नहीं करा पा रही है.
पिछले दिनों कई जवानो ने भोजन की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए वीडियो शेयर किये थे, जिस से पुरे मुल्क में बवाल भी मच गया था. देश की सुरक्षा में लगे जवानो को यदि शहादत नसीब हो तो बात समझ में भी आती है. मगर ऊपर दर्शाये कारणों पर सरकार की उदासीनता निंदनीय है.
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