अब बच्चों को खिलौना खिलाना है तो अपने देश के बने खिलौने खेलने को दीजिए, क्योंकि अब विदेशी खिलौना बच्चों के लिए खेलना पड़ सकता है महंगा, आप सोचेगे ये क्या कह रहे हैं चलिए बताते हैं क्या है पूरा मामला, बता दे कि मोदी सरकार ने विदेश से खिलौने इंपोर्ट करवाने के नियमों को सख्त कर दिया है. देशी खिलौना उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की तरफ से 1 सितंबर को जारी की गई अधिसूचना के अनुसार केवल वो ही खिलौने अब इंपोर्ट हो सकेंगे जो भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) के तय मानकों पर खरे उतरेंगे.
एक्टिविटी टॉयज
आपको बता दे कि अब इलेक्ट्रिक टॉय, स्लाइड्स, झूले और एक्टिविटी वाले टॉयज के इंपोर्ट पर सख्ती की गई है.अधिसूचना के अनुसार खिलौनों की फीजिकल व मेकेनिकल प्रॉपर्टी, केमिकल कांटेट, ज्वलनशीलता और टेस्टिंग पर नए मानक तय किए गए हैं.
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जो भी खिलौना इन मानकों पर खरा उतरेगा, केवल उसी को देश भर में बेचने की अनुमति प्रदान की जाएगी.कंपनियों या फिर इंपोर्टर को ऐसे खिलौनों के लिए स्वतंत्र लैबोट्ररी से सर्टिफिकेट भी लेना होगा.
फेस्टिव सीजन के शुरु होने से पहले सरकार के इस कदम से खिलौना बेचने वालों में मायूसी छा गई है. ज्यादतर दुकानदारों ने चीन से खिलौने मंगाने का ऑर्डर दे रखा है, जिसकी कीमत 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है.
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बता दें कि देश में इस वक्त 70 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से इंपोर्ट होते हैं. सरकार को इन पर कस्टम ड्यूटी भी मिलती थी. लेकिन सरकार बच्चों की सेहत से किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती है.