देश में फर्जी कंपनियों पर मोदी सरकार बड़ा शिकंजा कसने की तैयारी में हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर शैल कंपनियों का पूरा डाटाबेस बनाने का आदेश दिया गया है. सरकार ने यह अहम जिम्मेदारी सीरियस फ्राड जांच कार्यालय को दी गई है.
इसके साथ ही अब किसी भी कंपनी में डायरेक्टर बनने वाले शख्स को अपना आधार कार्ड जरूर देना पड़ेगा. बिना आधार कार्ड दिए कंपनी का डायरेक्टर नहीं बन सकता.
शैल कंपनियों की पहचान के लिए पूर्व चेतावनी सिस्टम बनाया जा रहा है. इस सिस्टम में तीन लिस्ट कन्फर्म लिस्ट, संदेहास्पद लिस्ट और कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर की लिस्ट बनाई जाएंगी. सरकार ने समय पर रिटर्न फाइल ना करने वाली कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का भई फैसला किया है.
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प्रधानमंत्री ने कहा था- एक कलम चलाकर एक लाख कंपनियों पर लगाया ताला
आपको याद दिला दें कि हाल ही में CAs के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जीएसटी लागू होने से पहले एक लाख फर्जी कंपनियों को एक झटके में ताला लगा दिया गया. प्रधानमंत्री ने कहा, “एक तरफ पूरी सरकार, मीडिया और व्यापारी जगत का ध्यान 30 तारीख को रात 12 बजे पर था, लेकिन, इससे 48 घंटे पहले ही Sk लाख फर्जी कंपनियों पर ताला लगा दिया गया. सिर्फ एक कलम चलाकर एकझटके में यह बड़ा काम कर दिया गया.’
क्या होती है शेल कंपनी?
दरअसल शेल कंपनी काले धन को सफेद करने के कॉरपोरेट तरीके को कहते हैं. ऐसी कंपनी जो सामान्य कंपनी की तरह मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स में रजिस्टर्ड होती है. कंपनी में निदेशक होते हैं, लेकिन ज्यादातर का कोई दफ्तर नहीं होता, कोई कारोबार नहीं होता. कोई कर्मचारी नहीं होता. लेकिन कागज पर कंपनी लाखों-करोड़ों का कारोबार करने वाली दिखती है. कंपनी के शेयर ट्रांसफर के जरिए सारा गोलमाल होता है. शेल कंपनी के शेयर आम तौर पर ऊंचे भाव में बेचे या खरीदे जाते हैं, लेकिन कंपनी शेयर बाजार में कारोबार नहीं करती है.