मिर्गी रोग (Epilepsy) एक प्रकार का मष्तिष्क विकार होता हैं जिसका कारण मस्तिष्क का सुचारू रूप से काम नहीं कर पाना होता हैं. ये एक अजीब बीमारी हो रही है. मिर्गी रोग को अंग्रेजी में सीजर डिसॉर्डर (Seizure Disorder) के नाम से जाना जाता हैं. इस बिमारी में अचानक शरीर अकड़ने लग जाता हैं. इसी के साथ अजीब दौरे भी पड़ते हैं. ये हर किसी को परेशान कर सकती है लेकिन इससे बचने के लिए आप कुछ घरेलु तरीके अपना सकते हैं. तो आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में.
मिर्गी के लक्षण
– बात करते हुए दिमाग ब्लैंक हो जाना, मांसपेशियों का अचानक फड़कना
– तेज रोशनी से आंखों में परेशानी होना, अचानक बेहोश हो जाना
– अचानक से मांसपेशियों पर नियंत्रण खो देना
उपाय
– तुलसी केपत्तों को पीसकर शरीर पर मलने से मिर्गी के रोगी को लाभ होता है. तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है. रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है.
– मिर्गी की बीमारी से राहत पाने के लिए एक नींबू पर थोड़ा-सा हींग का पाऊडर छिड़ककर इसे चूसें. नींबू में हींग पाऊडर मिलाकर रोजाना चूसने से कुछ ही दिनों में मिर्गी के दौरे आने बंद हो जाएंगे.
– अंगूर का रस प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिए. यह उपचार करीब छह माह करने से सुखद परिणाम मिलते हैं.
– गीली मिट्टी को रोगी के पूरे शरीर पर लगाना अत्यंत लाभकारी उपचार है.
– मिर्गी रोगी को 250 ग्राम बकरी के दूध में 50 ग्राम मेहंदी के पत्तों का रस मिलाकर दो सप्ताह तक सुबह के समय पीने से दौरे बंद हो जाते हैं.
– पेठे का जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ होता है. रस में शक्कर और मुलहटी का पाऊडर भी मिलाया जा सकता है. गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फायदा पहुंचाता है.
– राई पीसकर चूर्ण बना लें. जब रोगी को दौरा पड़े, तो सुंघा दें, बेहोशी दूर हो जाएगी.
– एक शोध के अनुसार, मिर्गी के रोगी को ज्यादा फैट वाला और कम काबरेहाइड्रेड वाला खाना लेना चाहिए. इससे सीजर पड़ने के अंतराल में कमी आती है.
– भोजन भर पेट लेने से बचना चाहिए. थोड़ा-थोड़ा भोजन कई बार ले सकते हैं.
– रोगी को सप्ताह में एक दिन सिर्फ फलों का आहार करना चाहिए.
– थोड़ा व्यायाम करना भी जीवनशैली का भाग होना चाहिए.