राजस्थान के पोखरण में लंबी दूरी तक मार करने वाले दो अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों का परीक्षण हो रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि बोफोर्स कांड के 30 साल बाद भारतीय सेना को अमेरिका से ये तोपें मिली हैं.
तोपों के इन परीक्षणों का प्राथमिक लक्ष्य M-777 A-2 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर के प्रोजेक्टाइल, रफ्तार और गोले दागने की फ्रीक्वेंसी जैसे बेहद महत्वपूर्ण डेटा जमा करना करना है. उम्मीद की जा रही है कि इनमें से ज्यादातर तोपों को चीन से लगी सीमा पर तैनात किया जाएगा.
परीक्षण की जानकारी रखने वाले एक सैन्य अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि ये परीक्षण सितंबर तक जारी रहेंगे. अधिकारी मीडिया से बातचीत करने के लिए प्राधिकृत नहीं हैं.
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बता दें कि 155 मिलीमीटर, 39-कैलिबर के इस तोप में भारतीय गोले उपयोग किए जाएंगे. 11 टन की बोफोर्स तोप के मुकाबले हॉवित्जर बहुत हल्की है. साथ ही आकार में भी यह उसकी आधी है और लाने ले जाने में काफी सुविधाजनक है. इसे सुमद्र के जरिये भी ले जाया जा सकता है, तो हवा में भी लिफ्ट किया जा सकता है. हॉवित्जर तोप बिच्छु की तरह बैठी रहती है, यानी दुश्मनों के लिए इसे खोज पाना भी आसान नहीं होगा. डायरेक्ट रेंज में 4 किलोमीटर और इनडायरेक्ट रेंज में 30 से 40 किलोमीटर तक हॉवित्जर दुश्मन के ठिकानों को आसानी से बर्बाद कर सकती है.
वर्ष 2018 के सितंबर में सेना को प्रशिक्षण के लिए तीन और तोपों की आपूर्ति होगी. इसके बाद 2019 के मार्च महीने से सेना में हर महीने पांच तोपों की तैनाती शुरू हो जाएगी. वहीं साल 2021 के मध्य में इन तोपों की आपूर्ति पूरी हो जाएगी और इसी के साथ इसकी तैनाती भी पूरी हो जाएगी.
अधिकारी ने बताया, परीक्षण सहज तरीके से चल रहे हैं और फायरिंग टेबल के निर्माण के लिए विभिन्न डेटा जमा किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि लक्ष्य यह सुनिश्चत करना है कि तोपों की तैनाती में कोई देरी नहीं हो.
गौरतलब है कि भारत ने 5000 करोड़ रुपये की लागत से 145 होवित्जर तोपों की आपूर्ति के लिए पिछले साल नवंबर में अमेरिका के साथ एक समझौता किया था. इसी के तहत सेना को मई में ये तोप मिले.