कांग्रेस सांसद राजीव सातव इस विधयेक के प्रस्तावक हैं। उनका कहना है कि बच्चे की परवरिश माता-पिता दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है और बच्चे की उचित देखभाल सुनिश्चित करने लिए दोनों को समय देना चाहिए। सांसद ने कहा कि विधेयक से निजी और गैर संगठित क्षेत्र में काम करने वाले 32 करोड़ से अधिक लोगों को फायदा होगा।
अभी, अखिल भारतीय और केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 15 दिनों का पितृत्व अवकाश मिलता है। तो वहीं कई कॉर्पोरेट समूह भी अपने कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश की सुविधा देते हैं। अगर इस विधेयक को कानून की शक्ल मिल जाए तो इससे न सिर्फ पितृत्व अवकाश की मियाद बढ़ जाएगी, बल्कि सभी कर्मचारी इस सुविधा के दायरे में आ जाएंगे। विधेयक में प्रस्ताव दिया गया है कि पितृत्व अवकाश की मियाद बच्चे के जन्म से 3 महीने के लिए होगी।