नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुए दंगा मामले में आरोपित पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य और जेएनयू की छात्रा देवांगना कलिता को आखिरकार मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिल गई। न्यायमूर्ति सुरेश कैत की पीठ ने देवांगना कलिता को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी। पीठ ने देवांगना को निर्देश दिया कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से न तो गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगी और न ही सुबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगी।

हाई कोर्ट ने 24 अगस्त को दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि भीड़ को भड़काने को लेकर देवांगना की कोई वीडियो है तो दिखाएं। पुलिस ने सुनवाई के दौरान ऐसे किसी भी वीडियो के होने से इनकार किया था। पुलिस की तरफ से हाई कोर्ट को बताया था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली में कार्यक्रम को प्रभावित करने के लिए यह दंगों की साजिश रची गई थी।
वहीं देवांगना की तरफ से दलील दी गई कि वह कोई राजनेता नहीं है, बल्कि एक छात्रा है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया। पुलिस ने देवांगना के खिलाफ हत्या का प्रयास, दंगा, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी। पुलिस ने कलिता व पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा नरवाल को गिरफ्तार किया था। देवांगना ने निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। फरवरी माह में सीएए के विरोध में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।
जमानत याचिका पर सुनवाई को लेकर विचार करें नताशा नरवाल
दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में पिंजरा तोड़ संगठन से जुड़ी नताशा नरवाल से दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को पूछा कि वह विचार करके बताएं कि क्या वे दिल्ली पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने के बाद अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई चाहती हैं। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने कहा कि मामले की जांच पूरी होने में सिर्फ दो सप्ताह का समय बचा है। दिल्ली पुलिस को 17 सितंबर तक आरोप पत्र दाखिल करना ही होगा।
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