नई दिल्ली। देश में डाटा सुरक्षा के लिए कानून की रूपरेखा बनाने के लिए नियुक्त विशेषज्ञ समिति का कहना है कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि पत्रकार कौन हैं और पत्रकारिता का कार्य क्या है। कमेटी ने यह सलाह पत्रकारिता / साहित्यिक उद्देश्यों और शोध को डाटा सुरक्षा कानून से छूट देने की बात करते हुए दी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी.एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बनी 10 सदस्यीय समिति ने एक श्वेतपत्र इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय को दिया है।
यह श्वेतपत्र सार्वजनिक परामर्श के लिए जनता के सामने रखा गया है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पत्रकार कौन हैं, इसे परिभाषित करने के प्रयास पत्रकारीय स्वायत्तता में कटौती कर सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि कई कानूनों में यह पहले से ही परिभाषित है कि पत्रकार कौन हैं। यदि इस परिभाषा में कोई कटौती की गई तो इसका अभिव्यक्ति की आजादी पर बहुत विपरीत असर होगा।
‘वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट’ में पत्रकार वह है जो जिसका मुख्य व्यवसाय पत्रकारिता है और जो किसी न्यूज पेपर या न्यूज एजेंसी में कार्यरत है। अन्य कानूनों में भी इसी एक्ट से पत्रकारिता की परिभाषा को लिया गया है। सूत्रों का मानना है पत्रकार की परिभाषा को और विस्तृत करने की जरूरत है। कमेटी ने पत्रकारिता, और साहित्यिक उद्देश्यों के लिए डाटा प्रोसेस करने में छूट देने की वकालत की है।
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