एजेंसी/समाज में कुछ लोग बेटियों को बोझ समझते हैं तो इसके विपरीत कई ऐसे भी परिवार हैं जहां बेटी के जन्म के लिए दिन-रात दुआएं होती हैं। कई लोग बहन-बेटी के बिना परिवार को अधूरा मानते हैं। कई मां-बाप पड़ौसी या रिश्तेदारों की लाडो को दुलारकर अपने दिल को तसल्ली देते हैं। शहर के एक दंपती ने इससे दो कदम आगे पड़ौसी के रिश्तेदार की बेटी का कन्यादान कर उसे खुशी-खुशी विदा किया।
खुशी सगी बेटी जैसी
शहर के कन्हैयालाल-निर्मला चंडक के तीन पुत्र और भरा पूरा परिवार है, लेकिन बेटी नहीं है। यह कमी उन्होंने अपने पड़ोसी की भतीजी को पुत्री मान कर पूरी की। जोधपुर निवासी यह बिटिया बचपन से ही जब-तब अपनी बुआ के पास आती रहती है। चंडक दंपती ने उसे बेटी के रूप में माना व भरपूर प्यार-दुलार किया। बाद में उन्होंने खुशी-खुशी कन्यादान भी किया। इस दंपती के अनुसार उन्हें कन्यादान से वही खुशी मिली जो घर में जन्मी लाडो की विदाई से मिलती है।
लोगों ने भी सराहा
बड़े भाई कन्हैयालाल की अपनाई बेटी के 10 मार्च को विवाह पर लोहावट से बारात आई। इस पर छोटे भाई भंवरलाल, नखतमल, बाबूलाल, श्यामलाल व हंसराज सहित अन्य सदस्यों ने दूल्हे व बारातियों का भव्य स्वागत किया। कन्हैया व निर्मला ने कन्यादान कर यथेष्ट उपहार के साथ वर-वधू को आशीर्वाद दिया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोगों ने उनके इस कार्य की सराहना की।
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