प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव रखी जा चुकी है. जापान के पीएम शिंजो आबे की मौजूदगी में गुरुवार को इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि पूजन किया गया. दोनों नेताओं ने कहा कि 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा. तो पीएम मोदी ने भी कहा कि उनकी इच्छा है कि 2022 में शिंजो आबे के साथ बुलेट ट्रेन में बैठकर सफर करें और शुरुआत करें. लेकिन पीएम मोदी का यह सपना इतना आसान भी नहीं हैं, प्रोजेक्ट को पूरा करने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

1. भूमि अधिग्रहण और रूट सबसे बड़ी अड़चन
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी अड़चन भूमि अधिग्रहण है. ट्रैक के लिए एक बड़ा हिस्से के लिए जमीन ली जानी है, जिसमें महाराष्ट्र और गुजरात के कई गांव शामिल हैं. 508 किमी. के इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 825 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी. जमीन अधिग्रहण के जरिए ही रूट पर भी असर होगा, क्योंकि यह भी संभव है कि रेलवे जो रूट तैयार करे वहां पर जमीन मिलने में कुछ अड़चनें आएं.
2. क्या कायम रहेगी जापान जैसी रफ्तार?
अहमदाबाद से मुंबई तक के रूट के बीच में करीब 12 स्टेशन बनाएं जा सकते हैं, हालांकि अभी यह तय नहीं है. अभी दावा किया जा रहा है कि यह ट्रेन 2 घंटे में अपना पूरा सफर तय कर लेगी. अब सवाल है कि अगर ट्रेन 12 स्टेशनों पर रुकेगी, तो क्या 2 घंटे तक में बुलेट ट्रेन पहुंच पाएगी. शिनजाकेन बुलेट ट्रेन की अधिकतम रफ्तार के हिसाब से देखें तो अगर ट्रेन 10 स्टेशनों पर रुकती है तो करीब 2 घंटे 58 मिनट में पहुंचेगी, वहीं 2 स्टेशन पर रुकती है तो 2 घंटे में ही पहुंच जाएगी.आपको बता दें कि अगर जापान में बुलेट ट्रेन अपने समय से लेट होती है तो ड्राइवर पर जुर्माना लगाया जाता है.
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3. प्रोजेक्ट की डेडलाइन
पहले इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन 15 अगस्त 2023 थी, लेकिन रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अब इसे 2022 तक ही पूरा कर लिया जाएगा. सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इन 5 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो पाएगा, जबकि अभी तक पूरी तरह से भूमि अधिग्रहण ही नहीं हुआ है. बुलेट ट्रेन जमीन, सुरंग और समुद्र के नीचे से गुजरेगी इन सभी रूटों को पूरा करना रेलवे के लिए चुनौती साबित हो सकता हैय
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