नई दिल्ली| राज्यसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी को हैरान करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू सोमवार को जब प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो सब उनके आगामी फैसले के बारे में जानना चाहते थे। लोगों को जानना था कि सिद्धू ने बीजेपी से इस्तीफा दिया कि नहीं, AAP में जाएंगे या नहीं। सिद्धू ने ये बातें नहीं बताईं। हां उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देने का कारण जरूर बताया। सिद्धू ने चिरपरिचित शायराना अंदाज में अपनी बातें कहीं। सिद्धू ने कहानी सुनाई, कविता सुनाई, शेर भी पढ़े। पढ़िए ‘शायर’ सिद्धू ने क्या-क्या कहा…
सिद्धू ने पहले ही सचेत किया कि वह निजी बात नहीं, बड़ी अहम बात करने जा रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘सागर की बात को कुएं में मत धकेलना।’
सवाल आया कि सिद्धू ने राज्यसभा से इस्तीफा क्यों दिया। सिद्धू बोले, ‘धर्मों में सबसे बड़ा धर्म राष्ट्रधर्म, जिससे बड़ा कोई धर्म नहीं, तो फिर कैसे छोड़ दे नवजोत सिंह सिद्धू अपनी जड़, अपना वतन। पंछी भी उड़ारी मारता है, तो शाम को अपने घोंसले पर लौटता है, यह उसका हक है और सिद्धू छोड़ कर चला जाए पंजाब?’
नवजोत सिंह सिद्धू सुनाई पक्षियों वाली कहानी
सिद्धू बोले, ‘राष्ट्रभक्त पक्षी भी अपना पेड़ नहीं छोड़ते। एक आम के पेड़ पर 3 पीढ़ियों से पक्षियों का एक परिवार रहता था। आम के पेड़ में आग लगी, तो राहगीर ने कहा…
आग लगी इस वृक्ष में जरन लगे सब पात. तुम पंछी क्यों जरत हौ, जब पंख तुम्हारे पास
तो राष्ट्रभक्त पक्षियों ने कहा…
फल खाए इस वृक्ष के गंदे कीन्हें पात…. अब धर्म हमारा यही है कि जलें इसी के साथ’
जब सिद्धू बन गए परवाना
सिद्धू की पंजाब के लिए परवाना बनने की चाहत कुछ ऐसे छलकी, ‘ इश्क जिनको है अपने वतन से खुदी को मिटाते रहेंगे, शमा महफिल में पंजाब की जलती रहेगी, सिद्धू जैसे परवाने और भी आते रहेंगे।’
कोई मेरा कुसूर तो बताओ
इमोशनल सिद्धू यहीं नहीं रुके। आगे बोले, ‘ कहते हैं पंजाब छोड़कर जाओ, अरे कुसूर तो बताओ।’ फिर मारा एक शेर।
‘उसे फिक्र है हरदम, नया तर्जे-जफा क्या है हमें यह शौक है, देखें सितम की इन्तहा क्या है। गुनहगारों में शामिल हैं, गुनाहों से नहीं वाकिफ सितम करते हैं वो, खुदा जाने खता क्या है
और फिर अंत में कहा,
जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश से प्यार नहीं।