देहरादून। थराली रमेश थपलियालग्वालदम से थराली के बीच सड़क पर शनिवार को फिल्म ‘थ्री इडियट’ के एक दृश्य की तरह प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला का एम्बुलेंस में प्रसव कराया गया। ‘थ्री इडियट’ का वो दृश्य भले ही फिल्मी हो लेकिन ग्वालदम की मीना ने सही में यह असहनीय पीड़ा झेली। चुनाव की बेला में जब राजनैतिक दल बड़े-बड़े दावे खेल रहे हैं, वहीँ पहाड़ की महिलाओं का यह कष्ट उनके मुंह पर तमाचा है। फिल्म ‘थ्री इडियट’ में इंजीनियरिंग का छात्र रेंचो, प्रसव पीड़ा से तड़प रही डॉ. प्रिया की दीदी का लैपटॉप पर निर्देश लेकर प्रसव कराता है। शनिवार को थराली के पास ऐसा ही 108 एम्बुलेंस के कर्मचारी धनराज सिंह और दया जोशी ने किया।
एम्बुलेंस में प्रसव के बाद महिला और नवजात दोनों सवस्थ..
ग्वालदम से थराली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाई जा रही विनोद कुमार की पत्नी मीना देवी को रास्ते में प्रसव पीड़ा बढ़ी तो धनराज और दया ने अपने कॉल सेंटर में तैनात डॉक्टर से फोन पर निर्देश लेकर प्रसव कराया। मीना और उनका नवजात बच्च स्वस्थ्य हैं। लेकिन रास्ते में कराए गए इस प्रसव ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत खोलकर रख दी है।
एम्बुलेंस में प्रसव की इस घटना ने पहाड़ पर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है।
उत्तराखंड में मई 2008 से 108 एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई। एम्बुलेंस सेवा के आंकड़े बताते हैं कि इन नौ वर्षो में नौ हजार बच्चे एम्बुलेंस में पैदा हो चुके हैं।
108 सेवा और सरकारें एम्बुलेंस में बच्चे पैदा होने को अपनी उपलब्धि बताते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि ये नौ हजार महिलाएं अपने गांव और आसपास स्वास्थ्य सेवाएं नहीं होने के कारण एम्बुलेंस में प्रसव कराने को मजबूर हुईं।
हालांकि ग्वालदम में भी सरकारी अस्पताल है। लेकिन वहां सारे इंतजाम नहीं होने के कारण महिलाओं को यहां से 17 किमी दूर थराली ही ले जाया जाता है।
108 सेवा का बड़ा लाभ गर्भवती महिलाओं को मिल रहा है। पूरे राज्य में 9000 से अधिक बच्चों का जन्म 108 में हो चुका है। 4 लाख 30 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं को आपातकाल स्थिति में अस्पतालों में पहुंचाया गया है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal