गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे के बाद गिरफ्तार किए गए डॉ. कफील को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है. हाई कोर्ट ने डॉ. कफील अहमद की याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में गिरफ्तारी पर रोक और एफआईआर रद्द करने मांग की गई थी.
असिस्टेंट एकाउंटेंट क्लर्क संजय त्रिपाठी की भी अर्जी खारिज कर दी गई है. बच्चों के इलाज में हुई लापरवाही को लेकर दोनों की गिरफ्तारी हुई है. जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अनिरुद्ध सिंह की खण्डपीठ ने ये आदेश दिया है. डॉ. कफील खान को लखनऊ से पकड़ा गया था. कफील को यूपीएसटीएफ ने एक सूचना के आधार पर धर दबोचा था. कफील अहमद बीआरडी अस्पताल मे उसी वॉर्ड के सुपरिंनटेडेट थे, जिसमे बच्चों की लागातार मौत हो रही थी.
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गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 29 अगस्त की रात 12 बजे से 30 अगस्त की रात 12 बजे तक 24 घंटे में 13 बच्चों की मौत हुई है. इनमें एनआईसीयू में 08 और पीआईसीयू में अलग-अलग बीमारियों से 5 बच्चों की मौत हुई है. बता दें कि एनआईसीयू में कुल 114 और पीआईसीयू में 240 मरीज भर्ती हैं. अगस्त महीने में कुल 399 बच्चों की मौत हुई.
गोरखपुर घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉ. कफील खान का नाम सामने आया था, जिसमें कहा गया कि उन्होंने मुश्किल समय में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए और मदद की. लेकिन बाद में कफील से जुड़ी कई नई बातें सामने आईं, जो कि बिल्कुल अलग कहानी दर्शाती हैं. मेडिकल कॉलेज से जुड़े कई लोगों ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर हैरानी जताई है, जिनमें कफील को किसी फरिश्ते की तरह दिखाया गया है. जबकि सच्चाई बिल्कुल अलग है. डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल ऑफिसर हैं लेकिन वो मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं.
उन पर आरोप है कि वो अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करता थे, जानकारी के मुताबिक कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के बीच गहरी साठगांठ थी और दोनों इस हादसे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. लेकिन हादसे के बाद से ही उन्हें फरिश्ते की तरह दिखाया गया था, कहा जा रहा है कि इसमें उन्होंने अपने पत्रकार दोस्तों की मदद ली.