भारत के ऑस्ट्रेलिया में डे नाइट टेस्ट मैच खेलने पर बीसीसीआई के अस्थाई इनकार पर अब चारों तरफ से बयान आने लगे हैं. जहां भारत ने अभी यह कहा है कि वह अभी इसके लिए तैयार नहीं है, ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों की ओर से इसकी आलोचना हो रही है. अब भारत के प्रमुख स्पिनर रहे हरभजन सिंह का मानना है कि भारत को डे नाइट टेस्ट मैच खेलने चाहिए और गुलाबी गेंद से होने वाले मैचों को लेकर अपनी आशंकाओं को खत्म कर देना चाहिए. वहीं प्रशासकों की समिति (सीओए) प्रमुख विनोद राय ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट टीम के ऑस्ट्रेलिया के आगामी दौरे पर गुलाबी गेंद से दिन-रात्रि के क्रिकेट खेलने के नहीं फैसले का समर्थन किया.
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस साल के आखिर में एडिलेड में डे नाइट टेस्ट मैच खेलने से इनकार कर दिया जिसके कारण कई पूर्व क्रिकेटरों ने उसकी आलोचना की. इनमें मार्क वॉ और इयान चैपल भी शामिल हैं.
हरभजन ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि वे डे नाइट टेस्ट मैच क्यों नहीं खेलना चाहते हैं. यह दिलचस्प प्रारूप है और हमें इसे अपनाना चाहिए. मैं पूरी तरह से इसके पक्ष में हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताइए कि गुलाबी गेंद से खेलने को लेकर क्या आशंकाएं हैं. अगर आप खेलते हो तो आप सामंजस्य बिठा सकते हो. हो सकता है कि यह उतना मुश्किल न हो जितना माना जा रहा है.’’
प्रशासकों की समिति ( सीओए ) ने अगले 18 महीने तक डे नाइट टेस्ट मैच नहीं खेलने की भारतीय टीम की मांग स्वीकार की.
सीओए प्रमुख विनोद राय ने गुरुवार को एक समारोह में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि प्रत्येक टीम सीरीज जीतना चाहती है और यही वजह है कि हम अपनी टीम को सर्वश्रेष्ठ संभावित मौका देना चाहते हैं.’’ राय ने कहा, ‘‘इसमें क्या गलत है, अगर हम सारे मैच जीतना चाहते हैं? जो भी टीम पिच पर उतरती है, वो जीतना चाहती है. 30 साल पहले वे कहते थे कि भारत केवल ड्रा के लिये टेस्ट मैच खेलता है लेकिन अब वे ऐसा नहीं कहते.’’
जौहरी ने भी किया फैसले का समर्थन
वहीं बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी ने बोर्ड के फैसले का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘‘जब तक भारतीय खिलाड़ी यह नहीं कहते कि वे दिन-रात्रि मैच खेलने के लिये तैयार हैं, तब तक कोई दिन-रात्रि मैच नहीं होंगे.’’ इस समारोह में हरभजन भी मौजूद थे. हरभजन से पूछा गया कि भारतीय बल्लेबाजों को दूधिया रोशनी में जोश हेजलवुड और मिशेल स्टार्क का सामना करने में दिक्कत हो सकती है, उन्होंने अपने अंदाज में सपाट जवाब दिया.
इस ऑफ स्पिनर ने कहा, ‘‘अगर आप आउट हो जाते हो तो क्या होगा? हमारे पास भी तेज गेंदबाज हैं जो उन्हें परेशानी में डाल सकते हैं. और हमें क्या लगता है कि हमारे बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों का सामना नहीं कर सकते हैं. यह एक चुनौती है और चुनौती स्वीकार करने में क्या नुकसान होने वाला है. जब हम टेस्ट क्रिकेट में नये थे तो केवल एसजी गेंद से गेंदबाजी करना जानते थे लेकिन धीरे धीरे कूकाबुरा और ड्यूक से गेंदबाजी करना सीखे.’’
हरभजन ने कहा, ‘‘क्या आप इंग्लैंड के खिलाफ उसकी सरजमीं पर बादल छाये होने पर खेलने की चुनौती स्वीकार नहीं करते. क्या यह चुनौती नहीं है ? अगर हम यह चुनौती स्वीकार कर सकते हैं तो फिर गुलाबी गेंद से खेलने की चुनौती क्यों नहीं स्वीकार करते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिंदगी सीखने की प्रक्रिया है और अगर हम नये प्रारूप को अपनाते हैं तो उसमें कोई नुकसान नहीं है.’’
सैद्धांतिक रूप से भारत चाहता है डे नाइट टेस्ट
यह सर्वविदित है कि कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी वेस्टइंडीज के खिलाफ गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच खेलने के पक्ष में हैं जिस पर भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री शुरू में सहमत थे. लेकिन अब पता चला है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने प्रशासकों की समिति (सीओए) से कहा है कि दूधिया रोशनी में टेस्ट मैच के लिये तैयार होने के लिये कम से कम 18 महीने के समय की जरूरत है.
टेस्ट मैचों में दर्शकों की कमी आईसीसी के लिए चिंता का विषय है और आम भावना है कि डे नाइट टेस्ट से ही इस प्रारूप को बचाया जा सकता है. इस बारे में लोगों के अलग अलग विचार हैं और कुछ का मानना है कि दुनिया भर में टेस्ट मैचों की शुरुआत गुरूवार को होनी चाहिए. टेस्ट मैचों में तीसरा और चौथा दिन महत्वपूर्ण माना जाता है और सप्ताहांत होने के कारण अधिक दर्शक स्टेडियम में पहुंच सकते हैं. ‘बॉक्सिंग डे’ टेस्ट मैच पर भले ही यह लागू नहीं हो पाएगा लेकिन गुरूवार को शुरुआत फायदेमंद हो सकता है.