नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव अपने चरम पर है. इसी क्रम में आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू के दो मंत्रियों ने आज पीएम नरेंद्र की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. वहीं आंध्र प्रदेश कैबिनेट में बीजेपी के दो मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया है. बीजेपी मंत्रियों के इस्तीफे पर नायडू ने उनकी तारीफ की. उन्होंने कहा कि दोनों मंत्रियों ने सरकार में अच्छी भूमिका निभाई और दोनों ने अपने विभागों में सकारात्मक बदलाव किए. चंद्रबाबू नायडू ने राज्य विधानसभा में कहा कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर अरुण जेटली के द्वारा दिया बयान ठीक नहीं था. उन्होंने विधानसभा में ही केंद्र सरकार से अपने मंत्रियों के इस्तीफा देने की जानकारी दी.
नायडू ने अपने भाषण में कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर में विकास के हर संभव काम कर रही है. वहां कारखानों के जरिए विकास किया जा रहा है, लेकिन आंध्र प्रदेश के साथ भेदभाव किया जा रहा है. इसके बाद नायडू ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों का हाथ थाम रही है तो फिर आंध्र प्रदेश के साथ यह सौतेलापन क्यों किया जा रहा है. केंद्र सरकार से अलग होने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए नायडू ने सदन में कहा, ‘अरुण जेटली ने बुधवार को जो कहा वो अच्छा नहीं है. आप पूर्वोत्तर राज्यों का हाथ मजबूती से थामे हुए हैं लेकिन आंध्र प्रदेश का नहीं. आप उन्हें औद्योगिक प्रोत्साहन दे रहे हैं, लेकिन आंध्र के साथ ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे हैं.
चंद्रबाबू ने कहा मैं 29 बार दिल्ली जाकर पीएम नरेंद्र मोदी से आंध्र प्रदेश का हाथ थामने के लिए मुलाकात की गुहार लगाई, लेकिन उनकी तरफ से कोई पहल नहीं की गई. उनकी नाराजगी यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने कहा नई राजधानी अमरावती को विकसित करने के लिए फंड, पोलावरम प्रॉजेक्ट और विशाखापत्तनम के लिए हुए वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं.
17 फरवरी को ही गुंटुर में सीएम नायडू ने कहा ”मैं आंध्र के 5 करोड़ लोगों की ओर से मैं केंद्र से मांग करता हूं कि हमारे राज्य के साथ इंसाफ किया जाए. मैं इस बात पर बहस करने को तैयार हूं कि दूसरे राज्यों हमारे राज्य को कितना फंड दिया गया है. मैं प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मांग करता हूं कि वह हमारे साथ न्याय करें. मैं तेलुगु लोगों के लिए किसी भी तरह का बलिदान करने को तैयार हूं.”