पिछले भाग में हमने आपको शिवजी के नंदी अवतार के बारे में बताया था .अब हम आपको बताते है शिवजी के भैरव अवतार के बारे में –
शिव महापुराण में भैरव को परमात्मा शंकर का पूर्ण रूप बताया गया है. एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे. तब वहां तेज-पुंज के मध्य एक पुरुषाकृति दिखलाई पड़ी. उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो. अत: मेरी शरण में आओ. ब्रह्मा की ऐसी बात सुनकर भगवान शंकर को क्रोध आ गया. उन्होंने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण आप साक्षात कालराज हैं. भीषण होने से भैरव हैं. भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया.
ब्रह्मा का पांचवा सिर काटने के कारण भैरव ब्रह्महत्या के पाप से दोषी हो गए. काशी में भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली. काशीवासियों के लिए भैरव की भक्ति अनिवार्य बताई गई है.
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