नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा कुख्यात आतंकी अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) और सिमी (स्टूडेट इस्लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया) को भारत में फिर से सक्रिय करने के इरादे से विदेश से लौटा था। यह भी पता चला है कि आकाओं के निर्देश पर उसने हवाला के जरिये विदेश से अपनी स्लीपर सेल को रुपये भी भिजवाए थे। भारत आकर वह विभिन्न स्थानों पर घूमकर बेरोजगार युवकों को अपने नेटवर्क से जोड़ने के साथ ही फंड एकत्र कर रहा था। सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब और पाकिस्तान में उनकी मूवमेंट की सूचना है।
स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक, उसकी योजना भारत में आइएम और सिमी को पुनर्जीवित करने की थी। इसके बाद भर्ती किए गए युवकों को ट्रेनिंग देकर वह देश के विभिन्न हिस्सों में बम धमाके को अंजाम देता, लेकिन इससे पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि आतंकी घटनाओं में संलिप्तता के कारण भारत में सिमी व आइएम पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और वर्ष 2008 में सिमी के संस्थापक सफदर नागौरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। उधर, आइएम के संस्थापक तीन भाइयों में से यासीन भटकल को भी दिल्ली पुलिस ने धर दबोचा था। हालांकि, उसके दोनों भाई रियाज और इकबाल भटकल विदेश भागने में सफल हो गए थे।
नागौरी और यासीन की गिरफ्तारी तथा लगातार कार्रवाई से सिमी व आइएम का नेटवर्क कमजोर पड़ गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार विदेश में रह रहे रियाज व इकबाल भटकल आइएम को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने नेपाल में छिपकर रह रहे अब्दुल सुभान कुरैशी को सऊदी अरब बुलाया था और उसे संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
दूसरों को प्रभावित करने का हुनर है कुरैशी के पास
दरअसल, कुरैशी बहुत पढ़ा-लिखा और शातिर है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला कुरैशी चंद मिनट की बातचीत में किसी को भी प्रभावित कर लेता है। बेरोजगार युवकों का ब्रेन वाश कैसे करना है, उसे बखूबी आता है, इसलिए उसे भारत का ओसामा बिन लादेन भी कहा जाता है।
युवाओं को देता था ट्रेनिंग
युवाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी वह कर चुका है। यही कारण है कि भटकल बंधुओं ने उसका चुनाव इस कार्य के लिए किया था। संगठन को फिर से खड़ा करने के लिए धन की जरूरत थी। लिहाजा, कुरैशी ने विदेश में पहले धन एकत्र किया और अपनी स्लीपर सेल को फिर से जिंदा करने के लिए पैसे भारत भिजवाया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हवाला के जरिये उत्तर प्रदेश और दिल्ली में आइएम व सिमी से जुड़े लोगों को धन भेजा गया। इन्हीं लोगों से मिलने कुरैशी दिल्ली आया था। इसकी भनक लगते ही दिल्ली पुलिस ने उसे धर दबोचा। कुरैशी ने किन लोगों को धन उपलब्ध कराया, पुलिस इसकी जांच में लगी हुई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जिस कार से कुरैशी दिल्ली आया था, वह चोरी की थी। तीन वर्ष पहले नोएडा से चुराई गई थी। कई हाथों में बिकती हुई चोरी की यह कार आतंक के पास पहुंची थी।
इलेक्ट्रानिक्स में किया है डिप्लोमा
पुलिस सूत्रों के अनुसार मुंबई निवासी कुरैशी की प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई वहीं के एक मिशनरी स्कूल में हुई थी। बाद में 1995 में उसने नवी मुंबई के भारतीय विद्यापीठ से इलेक्ट्रानिक्स में डिप्लोमा किया। इसी बीच उसने घर के समीप स्थित एक मुस्लिम लाइब्रेरी में जाना शुरू किया। इसके बाद उसने धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। इसी दौरान उसका संपर्क आतंकी रियाज भटकल से हुआ।
भटकल से जुड़ने के बाद बना आइएम का सदस्य
वर्ष 1995 में पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने मुंबई में ही एक आइटी फर्म में नौकरी शुरू की, लेकिन भटकल से संपर्क बढ़ने के बाद वह सिमी का सक्रिय सदस्य बन गया और नौकरी छोड़ दी। वर्ष 2001 में भारत में सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसके बाद उसने कनार्टक को अपना कार्यस्थल बना लिया। वहां रहकर वह रियाज भटकल के साथ बेरोजगार मुस्लिम युवकों को अपने नेटवर्क में जोड़ता रहा। बाद में वह आइएम का सह संस्थापक बन गया।
पुलिस के दबाव से भाग गया था नेपाल
आइएम से जुड़कर कुरैशी ने भारत के विभिन्न हिस्सों में धमाका करने की साजिश रची। पहला धमाका उसने सन 2006 में मुंबई में किया। सिमी के संस्थापक सफदर नागौरी की गिरफ्तारी के बाद कुरैशी इस आतंकी संगठन का मुखिया बन गया। इसके बाद उसने वर्ष 2008 में गुजरात में सीरियल बम धमाके कराए। गुजरात सहित अन्य राज्यों में हुए बम धमाके और आतंकी गतिविधियों के बाद पुलिस का दबाव बढ़ने पर वह बिहार के बार्डर से होता हुआ नेपाल भाग गया और वहां फर्जी नाम पर रहने लगा। भारत में दोबारा सिमी और आइएम को सक्रिय करने के उद्देश्य से वह जून 2017 में सऊदी अरब से यहां आ गया था।