भारत के विरोध के बाद चीन ने अपने राजदूत के उस बयान से दूरी बना ली है जिसमें विवादों को सुलझाने के लिए भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच वार्ता की वकालत की गई थी। बातचीत का यह मंच शंघाई सहयोग संगठन से इतर बनाने का सुझाव दिया गया था। चीन ने साफ किया है कि वह भारत और पाकिस्तान की द्विपक्षीय वार्ता का पक्षधर है। दोनों देशों को आपस में वार्ता करके परस्पर विश्वास बढ़ाना चाहिए।
भारत में चीन के राजदूत ल्यूओ झाओहुई ने सोमवार को त्रिपक्षीय सहयोग का विचार प्रस्तुत किया था। कहा था कि तीन देशों के इस वार्ता मंच से नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच की समस्याएं सुलझेंगी तथा दोनों के बीच शांति स्थापित होगी। जबकि भारत, पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में किसी तीसरे देश का दखल नहीं चाहता है। भारत की इस नीति को पूरी दुनिया स्वीकार करती है। चीनी राजदूत का बयान आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस पर विरोध जताया था।
बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, भारत और पाकिस्तान, चीन के पड़ोसी और मित्र देश हैं। चीन चाहता है कि भारत और पाकिस्तान विकास और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अपना सहयोग बढ़ाएं। उम्मीद है कि दोनों देश यह कार्य आपसी बातचीत से करेंगे और एक-दूसरे का भरोसा बढ़ाएंगे। यह सभी क्षेत्रीय देशों के हित में होगा। राजदूत के बयान से दूरी बनाने के सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि यह चीन का आधिकारिक पक्ष है। इसके अतिरिक्त उन्होंने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया।
चीनी राजदूत ने भारत, पाकिस्तान और चीन के त्रिस्तरीय वार्ता मंच को कुछ भारतीय मित्रों का सुझाव बताया था जिससे वह भी सहमत हैं। सोमवार को उन्होंने यह भी कहा था कि चीन और भारत के रिश्ते अब डोकलाम जैसी किसी अन्य घटना को नहीं झेल सकते हैं। इसलिए दोनों देशों को विशेष प्रतिनिधियों की बैठकों के जरिये सीमा से जुड़े विवादों का हल निकालना चाहिए।