गुजरात में 2002 में गोधरा दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसन जाफरी सहित 69 व्यक्ति मारे गए थे. इससे पहले अभियोजन पक्ष ने सभी 24 दोषियों द्वारा जेल में बिताई गई अवधि का ब्यौरा सौंपा जो कि अदालत ने मांगा था.
क्या कहा जज ने अपने फैसले में
सजा सुनाते हुए जज ने कहा, ‘उम्र कैद की सजा के लिए राज्य के माफी पावर को मैं चैलेंज नहीं करना चाहता, लेकिन मेरी ओर से यह मजबूत सिफारिश है कि सभी 11 दोषी मरने के समय तक जेल में रहें. मैं कैपिटल पनिसमेंट के खिलाफ हूं. ऐसे में सजा के प्रति में यही मेरा फैसला होगा.’
इसके साथ ही जज ने कहा कि 12 आरोपी जो इस दौरान बेल पर थे, उनके ऊपर किसी भी तरह का किसी भी क्रिमिनल आरोप नहीं है. जिस वजह से उन्हें सात साल कैद की सजा सुनाई जाती है.
बता दें कि गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के 24 दोषियों की सजा पर फैसला बीते सोमवार को भी टल गया. अहमदाबाद की विशेष अदालत ने इस मामले में 36 लोगों को बरी किया था.
पिछली सुनवाइयों में सजा सुनाने से पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की अंतिम दलीलें सुनी थीं, जिसमें सरकारी वकील और पीड़ितों के वकील ने दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा सुनाने की अपील की थी, जबकि दोषियों के वकील ने कम से कम सजा देने की मांग की.