खुलने वाला है 1995 में हुए सनसनीखेज कत्ल का असली राज, तब सियासत में मच गया था भूचाल
खुलने वाला है 1995 में हुए सनसनीखेज कत्ल का असली राज, तब सियासत में मच गया था भूचाल

खुलने वाला है 1995 में हुए सनसनीखेज कत्ल का असली राज, तब सियासत में मच गया था भूचाल

नई दिल्ली। भारत के सनसनीखेज हत्याकांड में से एक तंदूर हत्याकांड के अनछुए पहलुओं से जल्द पर्दा हटने वाला है। तंदूर हत्याकांड की जांच करने वाली टीम की अगुवाई करने वाले दिल्ली पुलिस के पूर्व अधिकारी मैक्सवेल परेरा ने इसपर किताब लिखी है।खुलने वाला है 1995 में हुए सनसनीखेज कत्ल का असली राज, तब सियासत में मच गया था भूचाल

असामान्य बताई जा रही ‘द तंदूर मर्डर’ किताब

वेस्टलैंड पब्लिकेशन द्वारा छापी गई इस किताब का प्रकाशन अगले महीने होगा। वेस्टलैंड पब्लिकेशन के सीईओ गौतम प्रधान के मुताबिक ‘द तंदूर मर्डर’ नामक यह किताब असामान्य है। किताब में पुलिस कार्रवाई की जटिलता सहित न्यायिक व्यवस्था का बखूबी रूप से वर्णन किया गया है। मालूम हो कि वर्ष 1995 में पति सुशील शर्मा ने नैना साहनी की हत्या कर उनके शव के टुकड़े दिल्ली के एक रेस्तरां के तंदूर में जला दिए थे।

अनारो के साहस से उजागर हुआ था तंदूर कांड

सब्जी बेचने वाली अनारो देवी ने यदि हिम्मत नहीं दिखाई होती तो राजधानी में अब से दो दशक पहले हुए नैना साहनी हत्याकांड का खुलासा नहीं हुआ होता। सब्जी बेचकर गुजारा करने वाली अनारो देवी 2 जुलाई 1995 की रात करीब सवा 11 बजे आम दिनों की भांति सब्जी बेचकर अपने घर जा रही थी। तभी रास्ते में उसे नई दिल्ली के अशोक यात्री निवास में बने बगिया रेस्टोरेंट से धुंआ उठता दिखा। अनारो ने सोचा कि रेस्टोरेंट में आग लगी है। उसने रेस्टोरेंट कर्मचारियों को जब इसकी जानकारी दी, तो उससे कहा गया कि चुपचाप घर जाओ। ऐसा कुछ नहीं है।

शक का बीज घर कर गया था अनारो के दिल में

अनारो के मन में किसी बड़े अनिष्ट की आशंका घर कर गई थी। उसने हिम्मत जुटाई और एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए मामले की सूचना वहां गश्त कर रहे हेड कांस्टेबल अहमद नसीर कुंजू को दी। हालांकि कुंजू को भी रेस्टोरेंट कर्मचारियों ने वही जवाब दिया जो अनारो को दिया था। मगर, धुएं की अजीब सी गंध ने उसका शक बढ़ा दिया।

कुंजू कर्मचारियों को धकेलता हुआ किसी तरह से रेस्टोरेंट के रसोई खाने में जल रहे तंदूर तक पहुंच गया। वहां पर एक महिला के शव के दोनों हाथ और दोनों पैर कटे हुए थे और उन्हें तंदूर में जलाया जा रहा था। हेड कांस्टेबल को देख सुशील शर्मा मौके से फरार हो गया, जबकि रेस्टोरेंट मैनेजर केशव को कुंजू ने मौके पर ही पकड़ लिया और मामले की सूचना कनाट प्लेस थानाध्यक्ष निरंजन सिंह को दी। पुलिस ने केस की जांच की तो मृतक महिला की शिनाख्त शर्मा की पत्नी नैना साहनी के रूप में हुई।

इस तरह जलाया गया था शव को

बगिया रेस्टोरेंट के मैनेजर केशव शर्मा ने पुलिस को बयान में बताया था कि रात 10 बजे सुशील शर्मा रेस्टोरेंट में आया और सभी कर्मचारियों को बाहर भेज दिया। इसके बाद सुशील शर्मा ने अपनी कार से प्लास्टिक का बैग उतारा जिसमें नैना साहनी का शव था। उसके हाथ-पांव कटे हुए थे। सुशील शर्मा ने शव को ठिकाने लगाने के लिए तंदूर में आग लगा दी।

शव ठीक से जले इसलिए तंदूर में डाला था घी-मक्खन

आग को तेज करने के लिए सुशील शर्मा ने तंदूर में बहुत सारा घी डाल दिया। इसके बाद शव के टुकड़े तंदूर में डालने शुरू किए। जब घी खत्म हो गया तो उसने होटल का सारा मक्खन मंगाकर तंदूर में डाल दिया और बाद में चुनावी पोस्टर भी उसमें जलाते हुए आग को तेज करने का प्रयास किया।

ऐसे हुई थी नैना साहनी की हत्या

पुलिस के अनुसार सुशील शर्मा ने नैना साहनी से वर्ष 1993 में बिड़ला मंदिर में शादी की थी। शादी से पूर्व नैना की एक कांग्रेसी कार्यकर्ता से मित्रता थी। इस वजह से पति-पत्नी के बीच मनमुटाव रहता था। जिसके कारण 2 जुलाई 1995 को शर्मा ने प्वाइंट 32 बोर की पिस्तौल से दो गोली मारकर नैना की हत्या कर दी।

सुशील शर्मा नैना का शव यमुना नदी में बहाने के लिए पुल पर गया, लेकिन वहां पर दो पुलिसकर्मी गश्त कर रहे थे। पकड़े जाने के डर से वह वापस लौट आया और उसने नैना का शव अपने रेस्टोरेंट के तंदूर में जलाने का निर्णय किया।

 
 

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