कोरोना संक्रमण कब तक रहेगा, और वैक्सीन कब आ जाएगी…इन असमंजसों के बीच शासन ने छह माह तक कोरोना प्रोटोकाल पूरी तरह पालन करने के लिए कहा है। स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 प्रवेंशन एक्ट के तहत तय प्रावधानों का नियमित पालन करेगा। अस्पतालों के नियमित सैनिटाइजेशन, ओपीडी में मास्क अनिवार्य और शारीरिक दूरी के मानकों को अपनाना होगा। इस बीच टीकाकरण, गैर संक्रामक रोग निवारण कार्यक्रम, एंटी रेबीज इंजेक्शन और प्रसव की व्यवस्थाएं चलती रहेंगी।
…अस्पतालों में बनी रहेगी फ्लू डेस्क
सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि शासन ने ओपीडी सेवाओं को पूरी तरह संचालित करने का निर्देश दिया है। जिला अस्पताल से लेकर 12 समुदायिक एवं 35 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी संचालन शुरू किया जा रहा है। हालांकि लाकडाउन के दौरान टीकाकरण पिछडऩे की वजह से बड़ी संख्या में बच्चे छूट गए हैं, जिनकी कवरेज जरूरी है। डाक्टरों का कहना है कि टीकाकरण से वंचित बच्चों में डायरिया, खसरा, निमोनिया व पोलियो का भी रिस्क बना हुआ है। इधर, सरकारी अस्पतालों में ओपीडी शुरू होने से मरीजों की भीड़ बढ़ेगी। इससे कोविड संक्रमण फैलने का खतरा है। इसीलिए छह माह तक कैंपस में फ्लू डेस्क पर मेडिकल स्टाफ नियमित रूप से बैठेगा।
…सांस के हर मरीज पर नजर
सांस, खांसी, बुखार व बेहोशी के लक्षणों वाले हर मरीज की स्क्रीनिंग होगी। संदिग्ध मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती किया जाएगा। एंटीजन से जांच के बाद जरूरत पडऩे पर आरटी-पीसीआर की भी जांच कराई जाएगी। संदिग्ध मरीजों का पूरा रिकार्ड रखा जाएगा। छह माह तक बाहर से आने वाले हर व्यक्ति पर स्वास्थ्य विभाग नजर रखेगा। स्वास्थ्य विभाग की एक टीम मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से निपटने की तैयारी में लगा है, लेकिन यहां भी कोविड प्रोटोकाल मेंटेन रहेगा।
….बेडों और कंबल से भी संक्रमण…सफाई करनी होगी
जिले में बड़ी संख्या में एसिम्टोमेटिक मरीज हैं। इनमें कोई लक्षण न होने से कई बार अन्य बीमारियां की वजह से भर्ती होते हैं, और उस बेड को संक्रमित कर सकते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग एवं मेडिकल कालेज कोई रिस्क नहीं लेगा। शासन ने बेडशीट और वार्ड की सफाई के लिए उच्च ताकत के कीटाणुनाशक रसायन-डिस्इंफेक्टेंट प्रयोग करने के लिए कहा है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे विलयन की तलाश में है, जिससे मरीजों की सेहत को नुकसान न हो, और वायरस नष्ट हो जाए। मेडिकल कालेज समेत अन्य कोविड केंद्रों में भर्ती मरीजों के लिए अलग लाउंड्री है, जबकि अन्य मरीजों के कपड़े दूसरी जगह धुले जा रहे हैं। सॢदयों में कंबल से और संक्रमण का रिस्क है, ऐसे में शासन बडा बदलाव कर सकता है।
ये है तस्वीर
– मेडिकल कालेज-कुल 1060 बेड, 250 कोविड बेड
– अंडर सीएमओ-सीएचसी पर–400 बेड, 30-30 बेडों की मवाना व सरधना में मैटरनिटी विंग
– जिला अस्पताल में-230 नान कोविड बेड
– डफरिन महिला जिला अस्पताल-100 बेड