कोलगेट: पूर्व कोयला सचिव समेत अन्य अफसरों को 2 साल की सजा, तुरंत मिली जमानत

सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कोयला घोटाला मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को दो साल की सजा सुनाई है. एच सी गुप्ता के अलावा अन्य आरोपियों को भी दो साल की सजा सुनाई गई है. CBI कोर्ट के स्पेशल जज भारत पाराशर ने एच सी गुप्ता, केएस क्रोफा समेत अन्य दोषियों को सजा का ऐलान किया. सजा के अलावा दोषियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. हालांकि कोर्ट की ओर से सभी दोषियों को बेल भी दे दी गई है.

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इसके अलावा केएसएसपीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन कुमार आहूलविया को तीन साल की सजा सुनाई गई है, वहीं उनपर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. वहीं केएसएसपीएल पर 1 करोड़ का जुर्माना लगा है. हालांकि इन को भी जमानत मिल गई है.

शुक्रवार को तय हुए थे आरोप

इससे पहले विशेष अदालत ने शुक्रवार को कोयला घोटाला मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को दोषी करार दिया था. विशेष सीबीआई जज भारत पराशर ने कोयला मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव के एस क्रोफा, तत्कालीन निदेशक के सी समारिया और अन्य को भी दोषी ठहराया था. इन लोगों को मध्यप्रदेश में थेसगोड़ा-बी रूद्रपुरी कोयला ब्लॉक का आवंटन केएसएसपीएल को करने में की गई कथित अनियमितताओं के मामले में दोषी ठहराया गया था.

अदालत ने सीए अमित गोयल को इस मामले में बरी कर दिया. गुप्ता, क्रोफा और समारिया के अलावा अदालत ने कंपनी केएसएसपीएल और उसके प्रबंध निदेशक पवन कुमार आहलूवालिया को भी दोषी ठहराया था. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया था कि केएसएसपीएल द्वारा कोयला ब्लॉक के लिए दायर किया गया आवेदन अधूरा था और जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप न होने के कारण इसे मंत्रालय की ओर से खारिज कर दिया जाना चाहिए था.

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपनी नेट वर्थ और मौजूदा क्षमता को गलत बताया था. सीबीआई ने कहा कि राज्य सरकार ने भी कंपनी को कोई कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश नहीं की थी. हालांकि सुनवाई के दौरान आरोपियों ने आरोपों को गलत बताया. अदालत ने पिछले साल अक्तूबर में आरोप तय करते हुए कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गुप्ता ने अंधेरे में रखा था और कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में गुप्ता ने प्रथम दृष्ट्या कानून एवं उनपर जताए गए विश्वास का उल्लंघन किया. गुप्ता के खिलाफ लगभग आठ अलग-अलग आरोपपत्र दायर किए गए थे और इनपर अलग-अलग कार्यवाही चल रही थी. उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में इन सभी मामलों में संयुक्त सुनवाई की मांग करने वली याचिका को खारिज कर दिया था.

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