काल भैरव जयंती 7 दिसंबर को है। शास्त्रों के अनुसार भगवान काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर हुआ था। इसलिए हर साल मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनायी जाती है। काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव जी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष विशेष उपाय करने चाहिए।

काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भी भगवान भैरव का आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि भगवान भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के अंश के रूप में हुई थी। कालाष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस विधि से पूजन करने पर भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
काल भैरव जयंती के दिन भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ता उपलब्ध न हो तो किसी भी कुत्ते को खिलाकर यह उपाय कर सकते हैं। इस उपाय को करने से न सिर्फ भगवान भैरव बल्कि शनिदेव की भी कृपा बरसेगी।
शास्त्रों के अनुसार आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक श्रीकालभैरव को शिव का पंचम रुद्रावतार कहा गया है। भैरव देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए प्रत्येक गुरुवार के दिन कुत्ते को गुड़ खिलाना चाहिए।
भैरव देव अपने भक्तों को तत्काल कष्टों से मुक्ति देते हैं। इनकी पूजा आराधना से घर में नकारत्मक ऊर्जा, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत, मारण, मोहन, विद्वेषण उच्चाटन आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है। भैरव देव की कृपा पाने के लिए रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को कंबल दान करें।
भैरव देव जी को काशी का कोतवाल कहा जाता है। इनकी कृपा पाने के लिए बुधवार के दिन सवा किलो जलेबी भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं। यह उपाय करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
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