कारण केन्द्र सरकार प्रति सिलेंडर सब्सिडी के रूप में 425 रुपए ही देती है। जबकि पेट्रोलियम कम्पनियों को दाम घटने से सब्सिडी के रूप में उपभोक्ता को अब कम पैसा देना होगा। गौरतलब है कि पेट्रोलियम कम्पनियां प्रत्येक माह की पहली तारीख को अंतर्राष्ट्रीय मूल्य के आधार पर सिलेंडर की दरों में कटौती या बढ़ोतरी करती है।उपभोक्ताओं का कहना है कि पेट्रोलियम कंपनियां वर्ष खत्म होता है तब तो सिलेंडर का रेट कम कर देती हैं। शेष वर्ष में रेट अधिक होने से उपभोक्ताओं को मिलने वाली केंद्र की सब्सिडी का फायदा नहीं मिल पाता है।
26 हजार उपभोक्ता होंगे प्रभावित
पेट्रोलियम कम्पनियों ने इस माह घरेलू सिलेंडर के दाम में 83 रुपए और गैर सब्सिडी वाले सिलेंडर में 162 रुपए की कटौती की है। कटौती होने के बाद घरेलू उपभोक्ता के खाते में 155 रुपए प्रति सब्सिडी के रूप में मिलेंगे। जबकि पिछले माह तक सिलेंडर के दाम 662 रुपए थे तो उपभोक्ता के खाते में 237 रुपए आ गए हैं। आम तौर पर कुल उपभोक्ताओं में से 20 प्रतिशत लोगों ने 12 सिलेंडर का कोटा पूरा कर लिया है। ऐसे में बचे हुए उपभोक्ताओं को सब्सिडी के रूप में कम राशि मिल पाएगी। प्रति वर्ष सिलेंडर का कोटा मार्च से अप्रेल माह तक निर्धारित किया हुआ है।
इनका कहना है
केन्द्र सरकार और पेट्रोलियम कम्पनियों ने प्रति सिलेंडर 425 रुपए बेसिक दर निर्धारित की है। सिलेंडर के पैसे उससे अधिक होने पर उपभोक्ता के बैंक खाते में केन्द्र सरकार सब्सिडी देगी।
-सरजोत सिंह, नोडल अधिकारी, इंडेन
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