छावनी परिषद कार्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठे सफाई कर्मचारियों में से डेढ़ दर्जन से अधिक ने शुक्रवार को ¨हदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया। हालांकि जिस तरह का दावा किया जा रहा था, कर्मचारियों को उस तरह का समर्थन नहीं मिला।
सैन्य क्षेत्र में संविदा पर रखे गए 335 सफाई कर्मचारियों में से 135 को कम बजट के चलते काम से हटा दिया गया था। उक्त परिवार फिर से नौकरी पर लेने के लिए दबाव बनाने को इन दिनों छावनी परिषद कार्यालय के बाहर आमरण अनशन करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में शुक्रवार को नौकरी का सवाल धर्म पर आकर टिक गया। दावा किया गया कि सभी 135 परिवार ¨हदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लेंगे। कार्यक्रम शुरू हुआ और बौद्ध धर्मावलंबियों ने जोर देकर कहा कि वही बौद्ध धर्म अपनाए जो आगे से पूजापाठ, होली, दीपावली जैसे त्योहार नहीं मनाएंगे। यह सुनते ही भीड़ छंट गई। बामुश्किल कुल मिलाकर 17 लोग ही धर्म को तैयार हुए। आचार्य भदंत अंगुलिमाल, सोम रतन, एसएस बैरागी, पप्पू ताराचंद्र, राजा बाबू भारती आदि मौजूद थे।
श्रम मंत्रालय ने दिया धरना समाप्त करने की सलाह
इस प्रकरण में प्रभावित पक्ष द्वारा केंद्रीय श्रम मंत्रालय में भी गुहार लगाई गई है। वाद स्वीकार करने के बाद केंद्रीय असिस्टेंट लेबर कमिश्नर राजीव रंजन ने जो नोटिस जारी किया है, उसमें प्रदर्शनकारियों से तत्काल आंदोलन समाप्त करने को कहा है। गौरतलब है कि सुनवाई होने की स्थिति में धरना प्रदर्शन नहीं हो सकता।
डॉक्टर ने किया परीक्षण
आमरण अनशन बैठे आंदोलनकारियों की तबियत लगातार बिगड़ रही है। विशेषकर अनीता वाल्मीकि की हालत खराब हो रही है। डॉक्टरों ने आज भी उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया।