पारादीप: भारत में भी अब बर्ड फ्लू ने दस्तक देना शुरू कर दी है. ओडिशा के पारादीप में H5N1 एवियन इंफ्लुएंजा का पता लगा है. इसके बाद बड़ी संख्या में मुर्गों को मारने का काम शुरू कर दिया गया है और इनकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जगतसिंहपुर जिले के प्रभारी कलेक्टर सचिनंदा साहू ने बताया कि विभिन्न फार्मों से नमूने लिए जाने और शहर के आसपास मर चुके कौवों में H5N1 विषाणु की पुष्टि होने के बाद एहतियात के तौर पर पॉल्ट्री फार्म बंद कर दिए गए हैं.
पारादीप नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी राजेन्द्र नायक ने बताया कि कल निर्णय किए जाने के बाद से 500 से ज्यादा मुर्गों को मारा जा चुका है. जगतसिंहपुर के मुख्य जिला पशुपालन अधिकारी रमेश बेहरा के साथ स्थिति पर नजर रख रहे नायक ने कहा कि सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए मारे गए मुर्गों को गहरे गड्ढे में दफनाया जा रहा है.
बेहरा ने बताया कि मुर्गों के रक्त के नमूने को भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज में परीक्षण के लिए भेजा जा गया था जो पॉजीटिव पाए गए. दस रैपिड रिस्पांस टीम बनाए गए हैं और प्रशासन ने उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में भेजा है.
क्या है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू एक प्रकार का वायरल संक्रमण है जो पक्षियों से पक्षियों में फैलता है. यह एवियन इन्फ्लूएंजा H5N1के जरिए एक पक्षी से दूसरे पक्षी में फैलता है. बर्ड फ्लू इंफेक्शन चिकन, टर्की, गीस और बत्तख की प्रजाति जैसे पक्षियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. इसका प्रभाव मनुष्यों पर भी पड़ता है क्योंकि वे पक्षियों के संपर्क में रहते हैं. यह इतना खतरनाक होता है कि इससे इंसान और पक्षियों की मौत तक हो सकती है.
बर्ड फ्लू के लक्षण
बर्ड फ्लू के लक्षण लोगो में अलग अलग हो सकते है. शुरुआत में ये सब आम फ्लू के लक्षणों जैसे लगते है. खांसी, बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, निमोनिया और अन्य समस्याएं इसके प्रमुख लक्षण होते है. यह एक गंभीर श्वसन रोग है जो धीरे-धीरे लेकिन घातक साबित हो सकता है.
बर्ड फ्लू का इलाज
बर्ड फ्लू का इलाज एंटीवायरल ड्रग ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू) (oseltamivir (Tamiflu) ) और ज़ानामिविर (रेलेएंजा) (zanamivir (Relenza)) से किया जाता है. इसके अलावा संक्रमित पक्षियों से दूर रह कर और संतुलित आहार से इस पर काबू किया जा सकता है. प्रभावित मरीज को बाकि लोगों से अलग रखना चाहिए और साफ सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि रोग अन्य लोगों में न फैल सके.