भारतीय महिलाओं का परिधान ही इस मौजूदा समय में अमेरिका से लाए गए फुल बॉडी स्कैनर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगा स्कैनर इन दिनों ट्रायल में फेल होता नजर आ रहा है। अब जर्मनी के बने एक स्कैनर को मंगाया गया है, जिसे अगले सप्ताह से ही ट्रायल के लिए लगाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है जो भी बेहतर होगी, उसे इस्तेमाल किया जाएगा। एयरपोर्ट की सुरक्षा कर रही एजेंसी ने शिकायत की थी कि एयरपोर्ट जो मशीन दिसंबर में लगाई गई थी, वह महिलाओं की साड़ी की कई परतों को स्कैन नहीं कर पा रही है।
वहीं दूसरी ओर, बहुत सी महिलाएं स्कैन के दौरान अपना मंगलसूत्र उतारने से भी मना करती हैं, जिसकी वजह से स्कैनर से सुरक्षा जांच करने में दिक्कत आ रही है। एक अधिकारी ने बताया कि यह स्कैनर किसी भी शख्स को गले से पैर तक स्कैन करता है, इसलिए निर्माणकर्ता से फुल बॉडी स्कैनर की मांग की गई है। अधिकारी ने बताया कि स्कैन से पहले हर शख्स को अपने अपने पास मौजूद हर तरह की धातु की चीज निकालनी होती है। पुरुष अपनी बेल्ट और पर्स जैसी सभी चीजें निकाल देते हैं लेकिन महिलाएं अपने मंगलसूत्र को निकाल कर ट्रे में डालने से मना करती हैं। उन्होंने कहा कि जब स्कैन अनिवार्य हो जाएगा, तो महिला यात्रियों को इसके लिए मनाना बहुत ही मुश्किल काम होगा। ये भी पढ़ें- मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर याचिकाकर्ता से बोले- मैं भी हिंदू हूं, लेकिन किसी से डरता नहीं जब कोई महिला साड़ी में स्कैनर से गुजरती है तो स्कैनर नकली अलार्म बजा देता है। अधिकारी के मुताबिक, साड़ी में कई परतें होती हैं, जो जीन्स या अन्य कपड़ों में नहीं होती हैं। बहुत सी महिलाएं ऐसी साड़ी पहनती हैं, जिसमें मेटल और कांच से डिजाइन बने होते हैं। इसकी वजह से भी स्कैनर अलार्म बजा देता है। महीने भर में किए गए करीब 10 हजार स्कैन के बावजूद स्कैनर पेन, पर्स और हथकड़ी जैसी चीजों को भी नहीं पहचान पाया। जिन लोगों पर ट्रायल किए गए, उनमें से 30 फीसदी महिलाएं थीं। जैसी ही स्कैनर का ट्रायल पूरा हो जाएगा, तो ब्यूरो फॉर सिविल एविएशन सिक्योरिटी इसके लिए फुल बॉडी स्कैन के लिए नियम बनाएगी।
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