नई दिल्ली: जैसे हिंदुओं के लिए मंदिर, मुस्लिमों के लिए मस्जिद, पंजाबियों के लिए गुरुद्वारा है, वैसे ही इसाइयों के लिए चर्च है जहां जाकर भक्ति भाव का एहसास होता है और मन को सुकून पहुंचता है।
मगर क्या आपने ऐसे चर्च के बारे में सुना या देखा है, जहां जिधर देखो उधर नर-कंकाल नजर आते हैं। यहां भक्ति भाव का नहीं बल्कि भय का एहसास होता है, मगर फिर भी उत्सुकता वश हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। जी हां, बात कर रहे हैं चेक गणराज्य में स्थित सेडलेक ऑस्युअरी चर्च की, कहा जाता है यह चालीस से लेकर सत्तर हजार लोगों की हड्डियों से बना है।
वैसे तो इसे दुनिया का सबसे डरावना चर्च माना जाता है, मगर यहां नजर आने वाले नर-कंकाल ही पर्यटकों को यहां आने के लिए मजबूर करते हैं। ये नर-कंकाल इतनी बड़ी संख्या में हैं कि चर्च का हर कोना सिर्फ कंकालों से घिरा हुआ है। हालांकि यह चर्च पहले ऐसा नहीं था, कहा जाता है कि 13वीं शताब्दी में एक संत हेनरी को पेलेस्टीना नाम की जगह भेजा गया था। वापस आने के दौरान उन्होंने उस जगह जाकर मिट्टी उठा ली, जहां पर कभी प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था।
उस मिट्टी को हेनरी ने वापस आने के बाद एक कब्रिस्तान में डाल दिया, तब से ही लोग बड़ी संख्या में यहां अपने परिजनों को दफनाने लगे।
वहीं 14वीं और 15वीं शताब्दी में इस जगह पर प्लेग और युद्ध का आतंक फैल गया। इस दौरान हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई और उन्हें सेडलेक में ही दफनाया जाने लगा। ऐसे में पूरी जगह शमशान बन गई।बाद में चर्च बनाने का ख्याल आया, तब यह कार्य वहा के संतो को सौंप दिया, जो की कब्र में से हड्डियों को निकाल कर चर्च में रख देते थे। मगर 1870 में करीब 40000 लोगों की इन हड्डियो को कलात्मक रूप से सजाया गया और यह काम फ्रंटीसेक रिंड ने किया था।
वर्ष 1870 में फ्रेंटीसेक राइंड ने करीब 70 हजार लोगों की हड्डियों को कलात्मक रूप से चर्च में सजाया। बाद में लोग इसे चर्च ऑफ बोन्स के नाम से जानने लगे।आज यह जगह ऑस्युअरी कहलाती है। सबसे पहले यहां शवों की अस्थाई रूप से कब्र बनाई जाती है। बाद में कुछ सालों बाद उनकी हड्डियां निकाल कर यहां चर्च में ऑस्युअरी में रखी जाती हैं। यह वह जगह है, जहां कब्र से कंकालों को निकालकर एक साथ रख दिया जाता है। चर्च को देखने हर साल 2 लाख से ज्यादा लोग पहुंचते हैं।