डेनमार्क में दिल के दौरे से मृत्यु के बाद भारतीय महिला का शव टर्की के इस्ताम्बुल एयरपोर्ट पर सिर्फ इसिलए रोक दिया गया क्योंकि, एयरपोर्ट कर्मचारी उनके ताबूत पर लिखी भाषा नहीं पढ़ पाए। मामला यह है कि भारतीय मूल की डेनिश नागरिक रीता शाही की डेनमार्क में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। उनके शव को डेनमार्क से दिल्ली के लिये रवाना किया गया। टर्की के इस्ताम्बुल एयरपोर्ट पर उनके शव को इसलिए रोक लिया गया क्योंकि उनके ताबूत पर लिखी डेनिश भाषा को एयरपोर्ट कर्मचारी ठीक से अंग्रेजी में नहीं बदल पा रहे थे।लंदन अटैक के गुनहगारों की तलाश में छापेमारी, सात गिरफ्तार
परिजन कर रहे एयरपोर्ट पर इंतजार
दूसरी तरफ उनके बेटे सुशान्त शाही और उनकी पत्नी दिल्ली पहुंच चुके थे। सुशान्त शाही का कहना है कि उनकी मां की मौत 6 मार्च को ही दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई थी। उनके शव को घर वापस ले जाने के लिये चिकित्सीय औपचारिकताएं पूरी होने में 10 दिन लग गये। इसके बाद जब उनका शव विमान में रखा गया तो उन्होंने भी पत्नी के साथ दिल्ली के लिये फ्लाइट पकड़ ली। जब वह दिल्ली पहुंचे तो यह जानकर बहुत हैरान हुए कि उनकी मां का शव अभी तक दिल्ली नहीं पंहुचा है। रीता के पति सूर्य बिक्रम शाही जो उत्तराखण्ड के गोरखा में एक समाज सेवक हैं।
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कुछ दिनों पहले ही छोड़ा था भारत
वह भी रीता के अंतिम दर्शन के लिये दुखी मन से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रीता को डेनमार्क में मेडिकल सेक्टर में जॉब मिलने के बाद वहां की नागरिकता मिल गई थी और बेटे सुशान्त ने भी वहीं रहकर पढ़ाई की। वह नॉर्डिकनेशन में कार्यरत हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रीता समय-समय पर भारत आती रहती थीं, 26 जनवरी को रीता नरेन्द्र मोदी की रैली में शामिल होने के बाद यहां से चली गयी थीं, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फैन थीं।
नहीं मिली कोई मदद
गोरखा वेलफेयर बॉडी के अध्यक्ष सागन मोक्तान ने बताया कि उन्होंने सुषमा स्वराज को ट्वीट किया,पीएमओ में मेल भी भेजा पर कोई सहायता नहीं मिली। वहीं, विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने संवेदना जताते हुए कहा कि रीता के परिजनों की भावनाओं का खयाल रखते हुए भारतीय दूतावास से जो कुछ भी संभव है वह कर रहा है।