शरीर के किसी अन्य जोड़ की ही तरह हमारे घुटने भी लगातार गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध काम करते हैं। हर कदम के साथ हमारे जोड़ों पर कोई न कोई असर जरूर पड़ता है। उम्र अधिक होने तक हम काफी चल चुके होते हैं और इससे जोड़ों को अधिक नुकसान होने लगता है। इसके साथ ही इस बात का खयाल रखना भी जरूरी है कि उम्र के साथ-साथ कई अन्य चीजें भी घुटने में दर्द के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। जानते हैं कि अन्य संभावित कारण कौन से हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस अब केवल अधिक उम्र के लोगों की बीमारी नहीं रह गयी है। अमेरिका में 24 वर्ष की आयु के करीब 14 प्रतिशत लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस की शिकायत है। इस प्रकार के अर्थराइटिस में घुटने की हड्डियों की रक्षा करने वाली कार्टिलेज टूट जाती है। इससे आपके घुटने में दर्द होने की आशंका और बढ़ जाती है। 65 वर्ष की आयु के बाद ऑस्टियोपोरोसिस से पीडि़त लोगों की तादाद 34 फीसदी हो जाती है। विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि अधिक उम्र के अधिकतर लोगों में घुटने में दर्द की बड़ी वजह ऑस्टियोपोरोसिस होता है।
मोटापा
मोटापा घुटने में दर्द की एक और बड़ी वजह है। शरीर का अधिक भार हमारे घुटनों को ही उठाना पड़ता है। अधिक वजन के कारण घुटनों पर जो अधिक भार पड़ता है उसके कारण जोड़ों को अधिक नुकसान होता है। अधिक उम्र के साथ यदि आपका वजन भी अधिक है तो इससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा और बढ़ जाता है।
मांसपेशियों में बदलाव
20 से 60 वर्ष की आयु के बीच हमारी मांसपेशियां 40 फीसदी तक सिकुड़ जाती हैं। इससे उनकी शक्ति में कमी आती है। जब हम चलते हैं या फिर अन्य शारीरिक गतिविधियां करते हैं तो हमारे कूल्हों और टांगों की मांसपेशियों का कुछ भार उठा लेती हैं। लेकिन, उम्र के साथ उन मांसपेशियों में बदलाव हो जाता है। इसके कारण टांगों पर अधिक दबाव पड़ता है। और यही वजह है कि हमारे घुटनों में दर्द होने लगता है।
घुटनों के दर्द से ऐसे बचें
1- ऐसा नहीं है कि बढ़ती उम्र के साथ घुटनों को किसी प्रकार की परेशानी से बचाया नहीं जा सकता है। कुछ बातों का खयाल रखकर आप अपने घुटनों में होने वाले संभावित दर्द को कम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने ऐसे कुछ उपाय सुझायें हैं जिन्हे अपनाकर आप घुटनों की तकलीफ को कम कर सकते हैं।
2- शोधकताओं ने पता लगाया है कि शारीरिक असक्रियता मोटापे से ग्रस्त लोगों को घुटने के ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ा देती है। केवल पांच फीसदी वजन कम करके ही घुटने के दर्द को कम किया जाता है।
3- व्यायाम भी आपके घुटनों को मजबूत रखने में मदद करता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या पैदल चलना घुटने के अर्थराइटिस से ग्रस्त मरीजों के लिए मददगार साबित हो सकता है। घुटने में दर्द कम होने से प्रतिभागी आसानी से घूम फिर सकते हैं। साथ ही उन्हें अपने रोजमर्रा के काम करने में भी आसानी होती है। इससे आपको दवाओं जितना ही फायदा होता है।
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