टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कुछ हफ्ते पहले टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली और नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू के साथ इस मुद्दे पर मुलाकात की थी। अब सरकार यह सोच रही है कि एयर इंडिया की आंशिक हिस्सेदारी को बेचा जाए या फिर पूरी तरह से बेच दिया जाए।
अरुण जेटली ने कहा था कि अगर प्राइवेट एयरलाइंस 85 फीसदी जिम्मेदारी संभाल सकती हैं तो फिर 100 फीसदी भी कर सकती हैं।
सूत्रों के मुताबिक, टाटा ग्रुप ने साफ किया है कि जब तक सरकार एयर इंडिया का 50 हजार करोड़ का कर्ज माफ नहीं करती है, तब तक वो सरकारी एयरलाइंस को नहीं खरीदेगा।
दूसरा कारण ये है कि विस्तारा को अपनी इंटरनेशनल फ्लीट के लिए बड़े प्लेन चाहिए, जो फिलहाल उसके पास नहीं है। अगले साल से विस्तारा को अपनी इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू करनी है, जिसके लिए उसे एयर इंडिया से साथ मिल सकता है।
तीसरा कारण ये है कि सिंगापुर एयरलाइंस को अपने देश में मौजूद प्राइवेट एयरलाइंस (थाई एयरवेज, कैथे पैसेफिक आदि) से काफी कड़ी टक्कर मिल रही है। एयर इंडिया के आने से उसे भी अपने नेटवर्क विस्तार करने में काफी मदद मिलेगी।