नई दिल्ली। देश का आम बजट तैयार करने में वित्त मंत्रालय के तमाम अधिकारियों की प्रमुख भूमिका होती है। वित्तमंत्री और वित्त सचिव समेत तमाम अधिकारी बजट का खाका तैयार करने में अपने अपने हिस्से की भूमिकाओं का निर्वहन करते हैं। हम अपनी बजट सीरीज की इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं कि आम बजट 2018 का ड्रॉफ्ट तैयार करने में किस-किस अधिकारी की अहम भूमिका है।
जानिए…
डॉ हसमुख अढिया (फाइनेंस एंड रेवेन्यू सेक्रेटरी)
1981 बैच के अधिकारी हसमुख अढिया वित्त मंत्रालय में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वो गुजरात कैडर से 1981 बैच के आइएएस अधिकारी रहे हैं। वो मंत्रालयों की अपेक्षाओं और विभागों की ओर से ज्यादा आवंटन की मांग को पूरा करने के बीच एक संतुलन बिठाने का काम करते हैं। साथ ही वो सरकार के वित्तीय घाटे लक्ष्यों पर भी ध्यान देते हैं।
सरकार ने राजकोषीय घाटे को काबू में लाने और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खर्चों इजाफे की जो प्रतिबद्धता जताई है वह उनके लिए एक मुश्किल काम है। राजस्व सचिव के तौर पर अढिया बजट में टैक्स सुधारों के प्रस्तावों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। साथ ही पैसा कहां से जुटाया जाए यह भी अढिया की ही जिम्मेदारी है। वहीं, विभिन्न योजनाओं के लिए राशि आवंटित करने का काम भी उन्हीं के पास है।
सुभाष चंद्र गर्ग (डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी)
गर्ग राजस्थान कैडर के 1983 बैच के आइएएस अधिकारी रह चुके हैं। वो वर्ल्ड बैंक में कार्यकारी निदेशक (एग्जीक्युटिव डायरेक्टर) के तौर पर काम कर चुके हैं। इनकी जिम्मेदारी यह भी है कि सरकार को बताए कि कहां से पैसा जुटाना है। इस काम के लिए वो लगातार भारतीय रिजर्व बैंक के संपर्क में रहते हैं। वो बजट के सभी तरह के कामकाज से वाकिफ रहते हैं। इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी के तौर पर उनका काम बजट में बिना किसी दिक्कत के इस तरह से सुधारों को रखना होता है जो कि उम्मीदों पर खरा उतरें। आम बजट 2018 में इनका मुख्य काम यह है कि देश में नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाकर निजी सेक्टर में विकास को बढ़ावा दिया जाए।
नीरज कुमार गुप्ता (डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सचिव)
इनकी जिम्मेदारी सरकार के विनिवेश कार्यक्रम की देखरेख करना है। जानकारी के लिए बता दें कि सरकार हर साल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपना हिस्सा बेचकर पैसा जुटाती है। वर्ष 2016 में गुप्ता ने कैश रिच कंपनियों के बायबैक कर सरकार के लिए 15,982 करोड़ रुपये हासिल किये थे। आम बजट 2018 में इनके मुख्य काम राज्य की ओर से नियंत्रित उद्यम के एसेट को बढ़ावा देना, विनिवेश के जरिए संसाधनों का हस्तांतरण करना और नए निवेश अवसरों को आकर्षित करना है।
अरविंद सुब्रमण्यम (मुख्य आर्थिक सलाहकार)
अरविंद सुब्रमण्यम देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। इन्होंने रघुराम राजन के साथ मिलकर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड में काम किया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर इनका प्रमुख काम मैक्रोइकोनॉमिक स्टेबिलिटी को बनाए रखना, निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना और सालाना इकोनॉमिक सर्वे को ड्राफ्ट करना है।
राजीव कुमार (डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के सचिव)
कुमार झारखंड कैडर के 1984 बैच के आइएएस अधिकारी रह चुके हैं। इन्होंने ब्यूरोक्रेट के ऑनलाइन परफॉर्मेंस की अप्रेजल रिपोर्ट में अहम भूमिका निभाई है। इनकी जिम्मेदारी वित्तीय संस्थान, बैंक, बीमा कंपनी और नेशनल पेंशन सिस्टम की देखरेख करना है। आम बजट 2018 में इन क्षेत्रों में सुधारों की जिम्मेदारी कुमार की ही है।
प्रशांत गोयल (ज्वाइंट सेक्रेटरी- बजट)
गोयल 1993 बैच (यूनियन टैरिटरी) के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। तथ्यों को कैसे जुटाया जाए और उसकी समीक्षा की जाए जिसके आधार पर बजट की रूपरेखा तैयार होती है यह सब कुछ उनकी देखरेख में होता है। गोयल डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (डीईए) के साथ मिलकर काम करते हैं। वो एक कोर टीम का नेतृत्व भी करते हैं जो कुल राजस्व, राजस्व को बढ़ाने के लिए नए प्रस्तावों, ज्यादा फंड्स को जुटाने के तरीकों, घाटे के स्तर को कम करने और अन्य संबंधी आंकड़ों पर विस्तार से चर्चा करती है।
अजय नारायण झा (सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडीचर)
अजय नारायण झा वर्ष 1982 बैंच के मणिपुर कैडर के आईएएस है। मौजूदा समय में वह वित्त आयोग में सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं। जैसा कि इस बार सरकार सभी के लिए कुछ न कुछ करना चाहती है तो बजट में मुख्य केंद्र खर्च होगा। झा की नियुक्ति अशोक लावासा के सेवानिवृत्ति के बाद हुई थी।