आम आदमी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार एनडी गुप्ता को बड़ी राहत देते हुए उनकी राज्यसभा उम्मीदवारीको मंजूर कर लिया गया है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ लाभ के पद पर रहने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने उसे खारिज करते हुए गुप्ता के हक में फैसला दिया। फैसले के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि कांग्रेस नेता अजय माकन ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह बेबुनियाद आरोप लगाया था। इसके अलावा कुमार विश्वास के ‘बागी तेवरों’ को लेकर पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा कि उनसे संबंधित कोई भी बात मीडिया के माध्यम से नहीं की जाएगी।
कांग्रेस नेता अजय माकन ने आरोप लगाया था कि एन.डी. गुप्ता नैशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट में ट्रस्टी हैं जो लाभ का पद है। ऐसे में उनकी उम्मीदवारी खारिज की जानी चाहिए। जवाब में गुप्ता की ओर से कहा गया था कि वह ट्रस्ट से काफी पहले इस्तीफा दे चुके हैं। कागजात के आधार पर उनके स्टैंड को सही पाते हुए रिटर्निंग ऑफिसर निधि श्रीवास्तव ने उनका नामांकन मंजूर कर लिया। फैसले के बाद एनडी गुप्ता ने कहा कि माकन ने न सिर्फ बेबुनियाद आरोप लगाए, बल्कि उनके खिलाफ अमार्यादित भाषा का भी इस्तेमाल किया। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।
इस दौरान गुप्ता के साथ मौजूद पार्टी नेता और राज्यसभा उम्मीदवार संजय सिंह ने कहा, ‘बेबुनियाद शिकायत के आधार पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अजय माकन द्वारा जो मुहिम चलाई गई थी, उसका सच सामने आ गया है। एनडी गुप्ता जी ने किसी लाभ के पद पद रहते हुए पर्चा दाखिल नहीं किया। वह जिस पद पर थे, वह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में नहीं आता। सिर्फ सुर्खियों में रहने के लिए उनके खिलाफ शिकायत की गई। इससे पता चलता है कि कांग्रेस मानसिक दिवालियेपन का शिकार है। आज दोपहर 3 बजे के आसपास प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा
क्या आरोप था माकन का?
माकन ने कहा था कि एनपीएस की वेबसाइट के मुताबिक केंद्र पर काबिज बीजेपी सरकार ने 30 मार्च 2015 को एनडी गुप्ता को 1,74,500 करोड़ के एनपीएस ट्रस्ट का ट्रस्टी अपॉइंट किया था। यह भारत सरकार का ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद है, क्योंकि ट्रस्टी सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। एनपीएस ट्रस्ट सभी सरकारी कर्मचारियों के पेंशन का प्रबंधन करता है। यदि यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट नहीं है, तो यह क्या है? माकन ने कहा था कि गुप्ता को इस्तीफा देने से पहले 30 दिन का नोटिस देने की कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं की। माकन की ओर से यह भी दलील रखी गई कि गुप्ता ने रिटर्निंग आफिसर के सामने यह भी सबूत नहीं रखा कि उनका इस्तीफा एनपीएस ट्रस्ट ने कब मंजूर किया। हालांकि उनकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया गया।
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