सुनवाई के दौरान उपसमिति के समक्ष बयान दे रहे सांसदों ने तिब्बत में पारस्परिक पहुंच, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की मांग की. सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे सांसद टेड योहो ने रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट ऑफ 2017 का समर्थन किया जिसमें तिब्बत तक पहुंच सीमित करने में शामिल चीन के सरकारी अधिकारियों के लिये अमेरिकी वीजा से इनकार करने का प्रस्ताव है.

योहो ने आरोप लगाया कि तिब्बत में मानवाधिकारों एवं निजी स्वतंत्रता की स्थिति ‘पहले से ही बहुत दयनीय एवं खराब’ है. उन्होंने कहा कि चीन की सरकार तिब्बती आबादी की अभिव्यक्ति, धार्मिक, संघीय, सम्मेलन एवं गतिविधि सहित तमाम नागरिक अधिकारों में ‘सख्त कटौती’ कर उनकी विशिष्ट धार्मिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई विरासत के ‘घोर दमन’ में शामिल है. उन्होंने कहा कि तिब्बतियों को पासपोर्ट, आजादी से कहीं घूमने की आज्ञा नहीं है एवं विदेशियों खासकर पत्रकारों एवं अधिकारियों को तिब्बत आने से रोका जाता है. सांसद ब्रैड शरमन ने मांग की कि कांग्रेस को निश्चित रूप से तिब्बत के प्रति चीन की ‘दमनकारी रणनीति एवं नीतियों’ पर तुरंत विरोध करना चाहिए.