केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा क्रिकेटर एस श्रीसंत पर लगाया गया आजीवन प्रतिबंध बहाल किया है.
बीसीसीआई ने इससे पहले केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. बीसीसीआई ने अपील में कहा था कि इस क्रिकेटर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला उनके खिलाफ मिले सबूतों के आधार पर किया गया.
चीफ जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच ने फैसला दिया कि कोर्ट बीसीसीआई द्वारा लगाए गए आजीवन प्रतिबंध की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकता है. इसलिए, बीसीसीआई की अपील को स्वीकार किया जाता है.
कोर्ट ने अपील पर दो दिन सुनवाई करने के बाद यह फैसला किया. इस फैसले के बाद श्रीसंत रणजी ट्रॉफी के आगामी मैचों में केरल की टीम की ओर से नहीं खेल पाएंगे इसके साथ ही वह बीसीसीआई और किसी राज्य क्रिकेट संघ के अंतर्गत होने वाले प्रैक्टिस सेशन का हिस्सा भी नहीं बन पाएंगे.
श्रीसंत कोर्ट के इस फैसले से काफी नाराज हैं और उन्होंने इस फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा- ‘यह अब तक का सबसे बुरा फैसला है.’
अब श्रीसंत के पास केवल सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बाकी है और श्रीसंत के करीबी सूत्रों के मुताबिक वह इस फैसले के खिलाफ अपील करने की तैयारी कर रहे हैं.
इससे पहले न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुश्ताक की एकल पीठ ने सात अगस्त को श्रीसंत पर लगे बीसीसीआई के आजीवन प्रतिबंध को हटा दिया था और बोर्ड द्वारा उनके खिलाफ चलाई जा रही सभी तरह कार्रवाई पर भी रोक लगा दी थी.
गौरतलब है कि 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दौरान स्पॉट फिक्सिंग मामले में दोषी पाए जाने के बाद श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था.
इस मामले में उन्हें मई, 2013 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी रखा गया था.दिल्ली पुलिस ने फिक्सिंग के आरोप में 17 मई को मुंबई श्रीसंत और उनके साथी खिलाड़ियों अजीत चांडीला और अंकीत चव्हाण के साथ गिरफ्तार किया था.
इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में बीसीसीआई की अनुशासन समिति ने श्रीसंत पर 13 सितम्बर, 2013 को स्पॉट फिक्सिंग मामले में दोषी पाए जाने के बाद आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था.